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    हिमाचल में बाढ़ और भूस्खलन का कोहराम, 400 से ज्यादा लोगों की मौत; यातायात ठप

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 08:07 AM (IST)

    हिमाचल प्रदेश में मानसून ने भारी तबाही मचाई है जिससे 20 जून से अब तक 404 लोगों की जान जा चुकी है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार बारिश से संबंधित घटनाओं में 229 मौतें हुईं जबकि 175 सड़क दुर्घटनाओं में हुई। मंडी कांगड़ा कुल्लू और शिमला जिलों में सबसे अधिक मौतें हुई हैं। बारिश के कारण 647 सड़कें और जलापूर्ति योजनाएँ बाधित हुई हैं।

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    हिमाचल में बाढ़ और भूस्खलन ने मचाया कोहराम (जागरण फोटो)

    डिजिटल डेस्क, शिमला। Himachal Disaster: हिमाचल प्रदेश में मानसून ने भीषण तबाही मचाई। प्रदेश में मानसून की तबाही ने 20 जून से अब तक 404 लोगों की जान ले ली है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) ने रविवार को पुष्टि की कि बारिश से संबंधित घटनाओं में 229 और सड़क दुर्घटनाओं में 175 मौतें हुईं।

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    एसडीएमए द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, बारिश से होने वाली मौतें भूस्खलन, अचानक बाढ़, डूबने, बिजली गिरने, बिजली गिरने और मकान गिरने से हुईं। वहीं, पिछले 24 घंटों में कुल 647 सड़कें, 343 जलापूर्ति योजनाएँ और 185 वितरण ट्रांसफार्मर (डीटीआर) बाधित हुए हैं।

    जिलों के अनुसार, मंडी में बारिश से संबंधित 37 मौतें हुईं, इसके बाद कांगड़ा (34), कुल्लू (31), चंबा (28) और शिमला (23) में सबसे ज्यादा मौतें हुईं।

    इसी बीच  सड़क दुर्घटनाओं में भी मौतें हुईं। मंडी में 24 लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत हुई, जबकि सोलन में भी 24 लोगों की जान गईं। 

    चंबा में 22 और कांगड़ा में 21 मौतें दर्ज की गईं। प्राधिकरण ने बताया कि फिसलन भरी परिस्थितियों, अवरुद्ध राजमार्गों और अस्थिर ढलानों के कारण चालू मानसून के दौरान दुर्घटनाओं में वृद्धि हुई है।

    प्रदेश को 4489 करोड़ का नुकसान

    एसडीएमए ने पहाड़ी राज्य में बुनियादी ढांचे और संपत्ति को हुए नुकसान की भी सूचना दी। कुल आर्थिक नुकसान 4,48,905.58 लाख रुपये (4,489 करोड़ रुपये) आंका गया है।

    सार्वजनिक संपत्ति को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। इनमें सड़क, पेयजल आपूर्ति, बिजली वितरण, शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास जैसे प्रमुख क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

    आवास और कृषि को भी भारी नुकसान हुआ है। इनमें कुल 1,616 घर पूरी तरह से तबाहहो गए, जबकि 8,278 घरों को आंशिक रूप से क्षति पहुंची है।

    29,000 हेक्टेयर में फैली फसलें नष्ट हो गईं, साथ ही लगभग 1.38 लाख हेक्टेयर बागवानी को भी नुकसान हुआ। पशुधन क्षेत्र में 2,094 पशु और 26,955 मुर्गी पक्षी मारे गए।

    प्रभावितों को दिया जाएगा मुआवजा

    एसडीएमए ने कहा कि पुनर्निर्माण दल सड़कों, बिजली ट्रांसफार्मर और जलापूर्ति योजनाओं की मरम्मत में लगे हुए हैं।

    हालांकि, बार-बार हो रहे भूस्खलन और लगातार बारिश के कारण पुनर्निर्माण की गति धीमी हो रही है। प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने और आवश्यक सेवाओं की बहाली सहित राहत कार्य जिला प्रशासन के समन्वय से चलाए जा रहे हैं।

    प्राधिकरण ने निवासियों से सतर्क रहने और अनावश्यक यात्रा से बचने का आग्रह किया है, खासकर भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों में, क्योंकि बारिश के नए दौर से और अधिक व्यवधान उत्पन्न हो सकते हैं।

    इससे पहले रविवार को, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री अजय टम्टा ने नुकसान का आकलन करने के लिए मंडी और कुल्लू के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। केंद्रीय मंत्री के दौरे के दौरान, हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर भी मौजूद थे।