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    Himachal Disaster: एक पल में मातम में बदली खुशी, परिजन कर रहे थे विवाह की तैयारी, बाढ़ में बहे अजय, खुद पसंद की थी लड़की

    Updated: Sat, 03 Aug 2024 10:33 PM (IST)

    Himachal Disaster घटनास्थल पर मौजूद बाढ़ में लापता हुए समेज हाइड्रो पावर के सिविल ऑफिसर अजय पुंडीर के चाचा मुंशी राम पुंडीर ने बताया कि मौके पर जाकर पावर प्रोजेक्ट के कर्मचारियों ने बताया कि प्रोजेक्ट से फोन पर सूचना दी गई थी कि पानी की आवाज बहुत ज्यादा हो गए हैं। जिस पर अजय ने अपने कंपनी के साथियों तथा दो बच्चों को बाहर निकाला।

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    Himachal Disaster: समेज प्रोजेक्ट में काम कर रहे अजय बहे, परिवार में पसरा मातम।

    राजन पुंडीर, नाहन। जिला सिरमौर के शिलाई विधानसभा क्षेत्र के कफोटा उपमंडल के तहत आने वाले दुगना गांव के अजय पुंडीर के घर पर कुछ महीनों में शहनाई बजने वाली थी। परिवार के लोग अजय की शादी की तैयारी में लगे थे। परिजनों से जानकारी मिली है कि अजय ने खुद लड़की पसंद की हुई थी।

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    शनिवार से वह एक सप्ताह की छुट्टी के लिए घर आना था कि इससे पहले वीरवार रात को बादल फटने की घटना हो गई। जिससे परिवार में खुशियां आने से पहले ही मातम में बदल गई। रामपुर के समेज में बुधवार रात को हुई बादल फटने की घटना से आई बाढ़ का पता चलाने पर वीरवार तड़के ही परिजनों ने अजय से संपर्क करना शुरू किया, तो उससे संपर्क ना हुआ।

    कई लोगों को निकाल चुका था बाहर

    करीब 30 लोग परिवार और ग्रामीण वीरवार दोपहर तक समेत जा पहुंचे। शुक्रवार देर रात को 10 लोग वापस गांव आ गए हैं। घटनास्थल पर मौजूद बाढ़ में लापता हुए समेज हाइड्रो पावर के सिविल ऑफिसर अजय पुंडीर के चाचा मुंशी राम पुंडीर ने बताया कि मौके पर जाकर पावर प्रोजेक्ट के कर्मचारियों ने बताया कि प्रोजेक्ट से फोन पर सूचना दी गई। 

    पानी की आवाज बहुत ज्यादा हो गए हैं। जिस पर अजय ने अपने कंपनी के साथियों तथा दो बच्चों को बाहर निकाल तथा खुद भी सुरक्षित स्थान पर पहुंच गया। 

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    मां समान मालकिन को बचाने में बहे

    इसी दौरान उसे अपनी मां समान मालकिन की याद आई, तो अजय दोबारा मकान मालकिन को बचाने के लिए घर के अंदर गया। अजय जब मकान मालकिन को बाहर निकल रहा था, इसी दौरान पानी का सैलाब आ गया। जो दोनों को अपने साथ बहा कर ले गया। 

    मातम में बदली खुशी

    अजय पिछले 14 वर्षों से इसी घर में किराएदार के रूप में रहता था। अजय के चाचा मुंशी राम ने बताया कि वह मकान मालिक को अपनी मां की तरह मानता था। धर्म की मां को बचाने के लिए अजय ने अपना जीवन दांव पर लगा दिया। जबकि अपने माता-पिता को जिंदगी भर का गम दे गया।

    अजय के पिता मुलाराम और माता संधि देवी का रो-रो कर बुरा हाल है। परिजन अब तो किसी चमत्कार की ही आस लगाएं बैठे हैं, कि कोई चमत्कार हो जाए, ओर अजय कहीं से सुरक्षित निकल जाए।

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