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    हिमाचल: 356 दिन से कांग्रेस संगठन के गठन का इंतजार, 50 से अधिक बैठकें बेनतीजा, CM के दौरे के बीच अब नई तिथि के कयास

    By Anil Thakur Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Tue, 28 Oct 2025 04:51 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश कांग्रेस 356 दिनों से बिना संगठन के चल रही है, जिससे पार्टी की गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह एकमात्र पदाधिकारी हैं। नए संगठन को लेकर 50 से अधिक बैठकें बेनतीजा रही हैं। मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे से उम्मीद है कि पार्टी हाईकमान जल्द ही कोई निर्णय लेगा, क्योंकि संगठन के अभाव में सरकार और कार्यकर्ताओं के बीच संवाद में कमी आ रही है।

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    हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू। जागरण आर्काइव

    अनिल ठाकुर, शिमला। हिमाचल प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस 356 दिनों से बिना संगठन के चल रही है। प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह एक मात्र पदाधिकारी हैं, जो संगठन में हैं। छह नवंबर को कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस की प्रदेश, जिला व ब्लॉक कार्यकारिणियों को भंग किया था। 

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    50 से अधिक बैठकें बेनतीजा

    नए संगठन को लेकर करीब 50 से ज्यादा बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन इनका कोई नतीजा अभी तक नहीं निकल पाया है। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से लेकर जिला स्तर पर पार्टी कार्यालयों में सन्नाटा ही पसरा रहता है। न कोई बैठकें होती न ही कार्यकर्ता वहां आते हैं। 

    हिमाचल कांग्रेस में ऐसा पहली बार

    यह पहला मौका है जब इतने लंबे समय से संगठन का गठन नहीं किया गया है। सरकार की नीतियों को जनता के बीच पहुंचाना हो या विपक्ष के आरोपों का जवाब देना हो इसके लिए भी पदाधिकारी नहीं है। 

    सीएम के दिल्ली दौरे से उम्मीद

    मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू दिल्ली गए हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि वह पार्टी शीर्ष नेतृत्व से चर्चा करेंगे। मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि हाइकमान जिसे भी अध्यक्ष बनाए उनका पूरा समर्थन उसके साथ होगा।

    10 नवंबर को शुरू हुई थी कांग्रेस कार्यकारिणी गठन की प्रक्रिया

    कांग्रेस आलाकमान ने 6 नवंबर को कार्यकारिणियों को भंग किया था। 10 नवंबर से इसके नए सिरे से गठन करने की प्रक्रिया शुरू की थी, जो अभी भी जारी है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआइसीसी) सचिव एवं प्रदेश कांग्रेस सह प्रभारी विदित चौधरी और चेतन चौहान को पर्यवेक्षक बनाकर हिमाचल भेजा था। इसके बाद चारों संसदीय क्षेत्र में पर्यवेक्षक भेजे गए। बाद में इस कार्य में तेजी लाने को जिला स्तर पर भी पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए। सभी पर्यवेक्षकों ने फील्ड में जाकर कांग्रेस नेताओं से वन टू वन बात करके हाईकमान को रिपोर्ट सौंपी। यह रिपोर्ट धूल फांक रही है।

    राहुल गांधी व खरगे भी कर चुके हैं बात

    कांग्रेस प्रदेश मामलों की प्रभारी रजनी पाटिल तीन से चार बार हिमाचल आकर संगठन के गठन को लेकर सभी वरिष्ठ नेताओं से बातचीत कर चुकी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी भी वरिष्ठ नेताओं के साथ दिल्ली में बैठक कर चुके हैं। बावजूद इसके संगठन नहीं बन पा रहा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह कह चुकी है कि हाईकमान सभी चीजों से अवगत है। निर्णय हाइकमान को ही लेना है।

    संगठन न होने का है नुकसान

    संगठन ही जनता के बीच संवाद का कार्य करता है। सरकार की नीतियां हो या पार्टी के कार्यक्रम उसका संचालन संगठन के माध्यम से होता है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, संगठन के बिना सरकार और कार्यकर्ताओं के बीच कोई सेतु नहीं है। इससे निर्णयों और नीतियों को जमीनी समर्थन नहीं मिल पा रहा। हिमाचल में पंचायत और नगर निकाय चुनाव होने हैं। संगठन न होने का खामियाजा यहां पर भुगतना पड़ सकता है। लंबे समय से संगठन न होने की वजह से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा है। पार्टी की गतिविधियों में उनकी भागीदारी कम हो गई है। 

    कांग्रेस मुख्यालय में नहीं हो रही कोई बैठक

    प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में ना कोई नियमित बैठक हो रही, न ही कोई जनसंपर्क कार्यक्रम। पार्टी हाईकमान की तरफ से जो अभियान या कार्यक्रम भेजे जा रहे हैं, वह भी औपचारिकता बनकर रह रहे हैं। हाईकमान को वोटर चोर गद्दी छोड़ अभियान के लिए उप मुख्यमंत्री को जिम्मेदारी सौंपनी पड़ी थी।

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    11 नवंबर के बाद हो सकता है एलान

    हिमाचल कांग्रेस कमेटी में अध्यक्ष के एलान में देरी हो सकती है। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व बिहार चुनाव में व्यस्त है। प्रदेश प्रभारी भी दिल्ली से बाहर हैं। ऐसे में चर्चा है कि 11 नवंबर के बाद ही अध्यक्ष सहित कार्यकारिणी का एलान हो सकता है।

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