Himachal News: ऊर्जा नीति का पालन करे या प्रोजेक्ट वापस करे SJVNL, सीएम सुक्खू की दो टूक
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सतलुज जलविद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) को ऊर्जा नीति का पालन करने या तीन जलविद्युत परियोजनाओं को हिमाचल को वापस करने का अल्टीमेटम दिया है। एसजेवीएनएल ने लूहरी चरण-एक सुन्नी और धौलासिद्ध परियोजनाओं पर बिना सहमति पत्र के निर्माण कार्य शुरू कर दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल सरकार इन परियोजनाओं पर हुए खर्च की प्रतिपूर्ति करने को तैयार है।

राज्य ब्यूरो, शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्रीय ऊर्जा एवं आवास मंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में दो टूक कहा कि सतलुज जलविद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) ऊर्जा नीति का पालन करे या तीन प्रोजेक्टों को हिमाचल को वापस करे।
एसजेवीएनएल ने 210 मेगावाट लूहरी चरण-एक, 382 मेगावाट सुन्नी और 66 मेगावाट धौलासिद्ध जलविद्युत परियोजनाओं पर कार्यान्वयन सहमति पत्र हस्ताक्षर किए बिना ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया।
हिमाचल की ऊर्जा नीति, जिसमें विद्युत परियोजनाओं से पहले 12 वर्ष के लिए 12 प्रतिशत, उसके बाद के 18 वर्ष के लिए 18 प्रतिशत और अगले 10 वर्ष के लिए 30 प्रतिशत रॉयल्टी का पालन करने को तैयार नहीं है तो हिमाचल सरकार तीनों प्रोजेक्ट को अपने अधीन लेने को तैयार है।
15 जनवरी तक का दिया समय
मुख्यमंत्री ने कहा है कि इन परियोजनाओं पर अब तक हुए खर्च की प्रतिपूर्ति एसजेवीएनएल को करने के लिए तैयार है। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) से हिस्सेदारी और शानन प्रोजेक्ट के मामले को भी उठाया। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने एसजेवीएनएल को तीनों प्रोजेक्ट को लेकर 15 जनवरी 2025 तक अंतिम जवाब देने के निर्देश दिए।
केंद्रीय मंत्री ने हिमाचल सरकार के साथ पीटरहाफ में ऊर्जा, स्वच्छ भारत मिशन, अम्रूत, शहरी आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सहित केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित विभिन्न शहरी विकास योजनाओं की प्रगति की भी समीक्षा की।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए केंद्र से उदार वित्तीय सहायता का अनुरोध किया। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रायल्टी के मसले के अलावा बीबीएमबी से 7.19 प्रतिशत की हिस्सेदारी दिलाने और शानन प्रोजेक्ट को वापस दिलाने का मामला उठाया।
उन्होंने आश्वासन दिया कि वह इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिए हितधारक राज्यों की संयुक्त बैठक बुलाएंगे। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने अधिकारियों को हिमाचल प्रदेश में पुनरुद्धार वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के कार्यान्वयन में तेजी लाने के निर्देश दिए। इस बात पर जोर दिया कि राज्य के लिए स्मार्ट मीटरिंग सुनिश्चित करना और बिजली के नुकसान को कम करना महत्वपूर्ण है।
कभी तत्कालीन पंजाब का हिस्सा नहीं रहा शानन परियोजना क्षेत्र
सुक्खू सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल को शानन परियोजना को हिमाचल को सौंपे जाने के लिए तर्क देते हुए बताया कि परियोजना का क्षेत्र कभी तत्कालीन पंजाब का हिस्सा नहीं रहा।
इस पर पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 लागू नहीं होता। केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया कि वह अधिनियम की समीक्षा करेंगे और उसके अनुसार उचित कार्रवाई करेंगे। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) को नवंबर 1996 से अक्टूबर 2011 तक की अवधि के लिए हिमाचल प्रदेश को बकाया 13,066 मिलियन यूनिट बिजली का बकाया जारी करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि राज्य के पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बावजूद हिमाचल को अभी तक संबंधित राज्यों से उसका उचित हिस्सा नहीं मिला है।
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