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    'चंडीगढ़ पर हिमाचल का हक, पंजाब-हरियाणा जितना ही हमारा अधिकार', बोले CM सुक्खू

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 06:00 AM (IST)

    हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चंडीगढ़ पर हिमाचल का पूरा हक जताया है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ पर पंजाब और हरियाणा जितना ही हिमाचल प्रदेश का भी अधिकार है। 

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    हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू

    जागरण टीम, शिमला/आनंदपुर साहिब (रूपनगर)। केंद्र सरकार की ओर से चंडीगढ़ को पूरी तरह से केंद्र शासित प्रदेश बनाने की चर्चाओं के बीच रविवार को आनंदपुर साहिब पहुंचे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चंडीगढ़ पर हिमाचल का अधिकार जताया।

    वह गुरु तेग बहादुर के 350वें बलिदान दिवस पर गुरुद्वारा शीशगंज साहिब में माथा टेकने आए थे। मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पंजाब के पुनर्गठन के समय जैसे हरियाणा राज्य पंजाब से निकला, ठीक उसी तर्ज पर हिमाचल प्रदेश भी अस्तित्व में आया। इसलिए चंडीगढ़ पर जितना अधिकार पंजाब व हरियाणा का है, उतना ही हिमाचल का भी है।

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    उन्होंने कहा कि नौवें पातशाह गुरु तेग बहादुर साहिब ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए जो बलिदान दिया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। आज पूरी मानवता गुरु महाराज के बलिदान को नमन करती है।

    उनका अद्वितीय बलिदान मानवता की अनमोल धरोहर है। गुरु तेग बहादुर की शिक्षाएं हमें आपसी सम्मान, सहिष्णुता और भाईचारे का संदेश देती हैं। गुरु तेग बहादुर ने किसी एक धर्म की नहीं बल्कि सभी मजहबों और हर पंथ के अधिकारों की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

    अत्याचारों के विरुद्ध उनका निर्भीक साहस और सत्य के प्रति अटूट आस्था आज भी दुनिया को मार्ग दिखाती है। गुरु तेग बहादुर का बलिदान न सिर्फ सिख इतिहास में बल्कि विश्व मानवाधिकार आंदोलन के स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।

    विविधता में एकता भारत की सबसे बड़ी ताकत है और गुरु तेग बहादुर की विरासत इस एकता को निरंतर मजबूती देती है। आज जब समाज को शांति, सद्भाव और सामाजिक न्याय की सबसे अधिक आवश्यकता है, ऐसे समय में उनकी शिक्षाएं और भी प्रासंगिक हो जाती हैं।

    इस दौरान ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री के साथ पहुंचे नालागढ़ के विधायक हरदीप बावा और कुटलैहड़ के विधायक विवेक शर्मा को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में कीर्तन दरबार, शबद गायन और गुरु तेग बहादुर के बलिदान से जुड़े ऐतिहासिक प्रसंगों को याद किया गया।