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    Himachal Cloud Burst: आपदा में मां-बाप के सामने बह गए बच्चे, उजड़े कई परिवार; तबाही के मंजर को बता रो पड़े लोग

    Updated: Fri, 02 Aug 2024 03:44 PM (IST)

    Himachal Cloud Burst बुधवार देर रात आई आपदा में कई परिवार उजड़ गए। किसी के सामने बेटी तो किसी के सामने पिता सैलाब में बह गए। 11 वर्षीय बेटी अनामिका घर के मलबे के साथ बह गई। वह नानी चैत्री देवी के घर आई थी। चैत्री देवी का शव बरामद हो गया है। अनामिका का सुराग अभी तक नहीं लगा है।

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    Himachal Cloud Burst: तबाही में मां-बाप के सामने बह गए बच्चे।

    जागरण संवाददाता, मंडी। जिले के द्रंग विधानसभा क्षेत्र के राजबन गांव में बादल फटने से कई कोंपले खिलने से पहले ही मुरझा गईं। यहां कुदरत ने ऐसा कहर मचाया कि बच्चा देखा न बूढ़ा। जो भी सामने आया उसे अपने आगोश में समा लिया। प्राकृतिक आपदा तीन माह की मानवी की जिंदगी पर भी भारी पड़ी।

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    मानवी मलबे में कहीं गुम हो गई है। मां सोनम का भी पता नहीं है। दादा सौजू राम व दादी चंदी देवी मलबे के आगे जिंदगी हार गए। पिता राम सिंह गंभीर रूप से घायल है और डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा में जिंदगी व मौत से जंग लड़ रहा है। राम सिंह से एक ही झटके में कुदरत ने सारी खुशियां छीन लीं। परिवार में बस वही अकेला बचा है।

    बेटे का अभी तक नहीं लग पाया सुराग

    शेष राम, ज्ञान चंद व खेम सिंह के चिराग भी लापता हो गए हैं। ज्ञान चंद के नौ वर्षीय बेटे अमन व खेम सिंह के आठ वर्षीय बेटे आर्यन का 12 घंटे बाद भी सुराग नहीं लग पाया है। दोनों स्वजन के साथ घर में सोए हुए थे। स्वजन तो किसी तरह से जान बचाने में सफल रहे, लेकिन अमन व आर्यन को संभलने का मौका नहीं मिला।

    इससे पहले कि स्वजन उन्हें बचा पाते पानी का तेज बहाव उन्हें अपने साथ बहा ले गया। दोनों तीसरी कक्षा में पढ़ते थे।

    मोहन सिंह से आपदा ने छीन ली मां

    शेष राम की 11 वर्षीय बेटी अनामिका घर के मलबे के साथ बह गई। वह नानी चैत्री देवी के घर आई थी। चैत्री देवी का शव बरामद हो गया है। अनामिका का सुराग नहीं लगा है। लटराण पंचायत के धरयाणधार का हरदेव भी रामबन में रिश्तेदार के घर आया था। मलबे की चपेट में आ गया। मोहन सिंह से आपदा ने मां छीन ली।

    वह परिवार के दो सदस्यों व राम सिंह को बचाने में सफल रहा, लेकिन मां को नहीं बचा पाया। राजबन में पांच किलोमीटर के दायरे में मिट्टी फैल गई है। राहत व बचाव कार्य में जुटे जवानों को लापता लोगों का सुराग लगाने में मशक्कत करनी पड़ रही है। जैसे-जैसे घड़ी की सूई आगे सरक रही है, उम्मीद की किरण कम होती जा रही है।

    प्रबंध केलव कागजों में ही पुख्ता

    सरकार व प्रशासन ने प्राकृतिक आपदा से निपटने के प्रबंध भले ही कागजों में पुख्ता कर रखे हैं, लेकिन धरातल पर स्थिति अब भी शून्य है। पिछले वर्ष की आपदा से कोई सबक नहीं सीखा है। विशेषज्ञों ने जो सुझाव दिए थे वे ठंडे बस्ते में पड़े हुए हैं।

    एक वर्ष में न तो कहीं पर पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित हुई और न ही ब्यास नदी की ड्रेजिंग का कार्य हुआ। जुलाई में पूरी तरह खामोश रहने वाली ब्यास नदी अगस्त शुरू होते ही अब फिर डराने लगी है।

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    रिपोर्ट पर अभी तक अमल नहीं

    पिछले वर्ष की प्राकृतिक आपदा के बाद नदी की ड्रेजिंग का कार्य करने की बात कही थी। केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इसका प्रस्ताव रखा था। प्रदेश सरकार ने हां में हां मिलाई थी। तटीकरण की बात भी कही गई थी।

    प्रदेश सरकार ने ड्रेजिंग की संभावना तलाशने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इसमें विभिन्न विभागों के उच्च अधिकारी शामिल थे। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी, लेकिन अभी तक इस पर कोई अमल नहीं हुआ है।

    कुल्लू से मनाली तक कोई सुधार नहीं

    ड्रेजिंग का कार्य वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) के फेर में फंसा हुआ है। ब्यास नदी में जगह-जगह चट्टानों व रेत के पहाड़ बन गए हैं। अतिक्रमण व खनन से नदी के बहाव में बदलाव हुआ है। हल्का सा जलस्तर बढ़ने पर नदी का पानी तबाही मचा रहा है।

    पिछले वर्ष मनाली से मंडी तक कीरतपुर-मनाली फोरलेन को भारी नुकसान पहुंचा था। इस बार भी वही हाल हैं। बिंदु ढोग में ब्यास नदी अपने साथ मार्ग का एक बड़ा हिस्सा बहाकर ले गई। तटीकरण की बात भी वादों से आगे नहीं बढ़ी है। कुल्लू से मनाली तक मार्ग की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है।

    नदी में फेंका मलबा बना आफत

    कुल्लू जिले की मणिकर्ण घाटी में 100 व 85 मेगावाट क्षमता का मलाणा एक व दो पनविद्युत प्रोजेक्ट इस बार भी लोगों को डराने लगा है। पिछले वर्ष एक प्रोजेक्ट के बांध के गेट जाम हो गए थे। इस बार दोनों बांधों से पानी ओवर फ्लो कर गया। प्रोजेक्ट प्रबंधन बांधों के गेटों का संचालन करने व वस्तुस्थिति को भांपने में विफल रहा।

    ब्यास, पार्वती व तीर्थन नदी में फेंका गया मलबा भी आफत बन गया है। पानी में गाद की मात्रा बढ़ने से राज्य विद्युत परिषद के लारजी व बीबीएमबी के डैहर विद्युत गृह में बिजली उत्पादन बंद करना पड़ रहा है।

    प्राकृतिक आपदा से जानमाल का नुकसान तब तक होता रहेगा जब तक सरकार विशेषज्ञों के सुझावों पर अमल और पुख्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित नहीं करेगी।

    एबीवीपी ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर

    एबीवीपी हिमाचल इकाई के प्रदेश मंत्री आकाश नेगी ने आपदा के लिए विभिन्न जिलों में हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिए हैं। इनमें हेल्पलाइन नंबर बागीपुल (प्रदीप 8894810223, कार्तिक 8278827485,) हेल्पलाइन नंबर रामपुर (आशीष नेगी 7876001053, अमन 7876814668) हेल्पलाइन नंबर मंडी (विशाल 85804 54849)

    हेल्पलाइन नंबर कुल्लू (ऋषभ 98822 58000, अमन 80917 88682, सारांश 86269 86104) जारी किए गए हैं। प्रदेश कार्यसमिति सदस्य प्रदीप ठाकुर ने आग्रह किया कि किसी भी सहायता व सहयोग के लिए विद्यार्थी परिषद के दिए गए हेल्पलाइन नंबर से संपर्क कर सकते हैं।

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