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    Himachal: 2022 से पहले रिटायर कर्मचारियों के बकाया एरियर जारी करने पर लगी रोक, अफसरों को जारी हुआ सर्कुलर

    Updated: Tue, 16 Jan 2024 04:32 PM (IST)

    हिमाचल में वित्त विभाग ने 6 फीसद ब्याज दर के साथ बकाया एरियर जारी करने के आदेशों पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने हाल ही में ये आदेश सरकार को दिए थे। सरकार अब कोर्ट फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देगी। कुछ विभागों के डीडीओ ने अदालत से फैसला आने के बाद कुछ सेवानिवृत कर्मचारियों को बकाया एरियर जारी कर दिया था।

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    Himachal: 2022 से पहले रिटायर कर्मचारियों के बकाया एरियर जारी करने पर लगी रोक

    जागरण संवाददाता, शिमला। एक जनवरी 2016 से 31 जनवरी 2022 के बीच सेवानिवृत कर्मचारियों को सरकार ने बड़ा झटका दिया है। वित्त विभाग ने 6 फीसद ब्याज दर के साथ बकाया एरियर जारी करने के आदेशों पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने हाल ही में ये आदेश सरकार को दिए थे। सरकार अब कोर्ट फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देगी।

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    नए वेतनमान के तहत तय दरों लीव इनकेशमेंट, कम्युटेशन आदि के भुगतान पर भी यह रोक लगाई गई है। कुछ विभागों के डीडीओ ने अदालत से फैसला आने के बाद कुछ सेवानिवृत कर्मचारियों को बकाया एरियर जारी कर दिया था। वित्त विभाग के ध्यान में यह मामला आया। जिसके बाद विभाग ने रोक के यह आदेश जारी किए हैं। वित्त विभाग ऐसा करने वाले डीडीओ को भी नोटिस जारी करेगा क्योंकि उन्होंने अदायगी से पहले सरकार से आदेश नहीं लिए।

    तुरंत रोके भुगतान

    वित्त विभाग के आदेशों के बाद मंगलवार को ट्रेजरी अकाउंटस विभाग के निदेशक ने सभी जिलों के कोषागार अधिकारियों को एक सर्कुलर जारी किया है। जिला कोषागार अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह इस तरह का भुगतान तुरंत रोके।

    कोर्ट ने 1 जनवरी 2016 से 31 जनवरी 2022 के बीच सेवानिवृत कर्मचारियों को संशोधित दरों पर 6 फीसदी ब्याज के साथ लीव इनकेशमेंट, कम्युटेशन व ग्रेच्युटी की अदायगी करने के आदेश जारी किए थे। सरकार ने पहले ही नया वेतनमान का एरियर 50-50 हजार रुपए सभी को दिया है जिसके बाद एरियर का शेष भुगतान नहीं किया गया।

    अदालती मामलों में कंटेस्ट जरूरी

    इसके साथ लीव इनकेशनमेंट, ग्रेच्यूटी व कम्युटेशन का नई दरों पर भुगतान करने का भी अभी तक सरकार की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया है। ऐसे में सभी विभागों से कहा गया है कि वह इस तरह का भुगतान ना करें और वित्त विभाग की सलाह के हिसाब से उच्च अदालत में मामले को ले जाएं। जिन भी मामलों में अदालत से कोई आदेश आ रहा है उस पर कंटेस्ट करने के लिए कहा गया है। इस तरह के कई मामले विभिन्न अदालतों में चल रहे हैं।

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