Himachal News: एक अब भी झेल रही तेजाब का दंश, दूसरी जिंदगी से हार गई... 20 साल बाद 'छोटी काशी' के फिर हरे हुए जख्म
हिमाचल प्रदेश की 'छोटी काशी' मंडी में 20 साल पहले हुए तेजाब हमले की घटना फिर से चर्चा में है। इस हादसे में दो युवतियां शिकार हुई थीं, जिनमें से एक आज भी तेजाब के दंश को झेल रही है, जबकि दूसरी ने जिंदगी से हार मान ली। पीड़ितों को अभी तक न्याय का इंतजार है।

ममता के अंतिम संस्कार के दौरान मंडी के हनुमान घाट पर तैनात पुलिस l जागरण
हंसराज सैनी, मंडी। छोटी काशी मंडी में 20 वर्ष बाद तेजाब कांड के जख्म फिर ताजा हो गए। समाज को झकझोर देने वाली दो अलग-अलग घटनाओं ने न सिर्फ शहर को दहला दिया, बल्कि इस दर्दनाक हकीकत को भी सामने ला दिया कि तेजाब हमले का जख्म सिर्फ शरीर पर नहीं, बल्कि पूरी जिंदगी पर पड़ता है। एक ममता 20 वर्ष से उस दर्द को ढो रही है, जबकि दूसरी ममता पांच दिन तक संघर्ष करने के बाद जिंदगी की जंग हार गई। दोनों की कहानी अलग थी, लेकिन अंत बेहद पीड़ा देने वाला।
मंडी का पहला तेजाब कांड 27 मई 2005 को हुआ था। आइटीआइ की छात्रा ममता पर चलती बस में मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले दर्जी मोहम्मद मरगूब ने तेजाब फेंक दिया था।
वारदात इतनी भयावह थी कि उसका चेहरा 40 प्रतिशत तक झुलस गया था और आंखों की रोशनी भी लगभग प्रभावित हो गई थी। बस में मौजूद कई यात्री भी जख्मी हुए। अचानक हुई इस घटना से मंडी का वातावरण इतना तनावपूर्ण हो गया था कि स्थिति सांप्रदायिक तनाव में बदलती दिखाई देने लगी थी।
पुलिस सुरक्षा से भाग निकला आरोपी
प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ा और अर्धसैनिक बल तैनात करने पड़े पड़े थे। मंडी पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपित मरगूब को गिरफ्तार कर लिया था। ट्रायल के दौरान हाई कोर्ट से पेशी के बाद शिमला से मंडी लाते समय वह सोलन के चमाकड़ी पुल से पुलिस सुरक्षा से भाग निकला था। कई माह की खोजबीन के बाद 21 दिसंबर 2006 को पुलिस टीम ने उसे मेरठ से पकड़ा था।
लंबे कानूनी संघर्ष के बाद उसे उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। ममता का उपचार आइजीएमसी शिमला में हुआ था। सरकार ने इलाज का सारा खर्च उठाया था। बाद में न्यायालय के आदेश पर उसे लगभग 21 लाख रुपये मुआवजा भी मिला था। आज भी वह गुमनाम जीवन जीने को मजबूर है। उस दिन का दर्द उसकी जिंदगी की हर सांस में मौजूद है। इसी दर्दनाक इतिहास के बीच अब मंडी ने दूसरी ममता खो दी।
40 लाख रुपये से बनाया घर
सैण मोहल्ले की इस ममता ने दिन-रात मेहनत कर लगभग 40 लाख रुपये का घर खड़ा किया था, लेकिन पति नंदलाल के शक ने उसकी जिंदगी तबाह कर दी। दोनों के बीच घरेलू तनाव और चरित्र पर शंका को लेकर विवाद पहले से चल रहा थे। भरण-पोषण और संपत्ति विवाद मामला न्यायालय में लंबित था। घटना वाले दिन पति ने आवेश में आकर ममता पर तेजाब फेंका और फिर उसे पहली मंजिल की खिड़की से नीचे धक्का दे दिया था।
तेजाब की जलन सहते हुए भी उसने हिम्मत नहीं हारी, लेकिन अत्यधिक रक्तस्राव, जबड़े में फ्रेक्चर और ब्रेन हैमरेज के कारण पीजीआइ चंडीगढ़ में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। दोनों मामलों में आरोपितों ने तेजाब मंगवाईं गांव की एक दुकान से खरीदा था।
एक अब भी झेल रही तेजाब का दंश, दूसरी जिंदगी से हार गई, 20 वर्ष बाद तेजाब कांड से छोटी काशी के जख्म फिर हरे हुए
पुलिस के पहरे में अंतिम संस्कार वीरवार देर शाम जब ममता का शव उसके घर लाया गया तो सैण मोहल्ले में सन्नाटा पसर गया। पूरी रात पुलिस पहरा देती रही। शुक्रवार सुबह पुलिस सुरक्षा में हनुमानघाट पर अंतिम संस्कार किया गया।
कई सामाजिक संगठनों ने उसे न्याय दिलाने की मांग को लेकर आइटीआइ चौक से सेरी मंच तक कैंडल मार्च निकाला। ममता की मौत के बाद पुलिस ने आरोपित पति नंदलाल के खिलाफ अब हत्या की धारा जोड़ दी है।

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