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    मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को सेवा विस्तार पर हाईकोर्ट का केंद्र से सवाल, सरकार को कोर्ट में नोटिंग पेश करने के आदेश

    Updated: Tue, 23 Sep 2025 10:51 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा है कि मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को सेवाविस्तार देने से पहले क्या सक्षम प्राधिकारी को सूचित किया गया था कि सक्सेना के खिलाफ आपराधिक मामले में अभियोजन की मंजूरी दे दी गई है। कोर्ट ने इस संदर्भ में संबंधित नोटिंग पेश करने के आदेश दिए और मामले पर सुनवाई 24 सितंबर को होगी।

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    केंद्र सरकार को कोर्ट में नोटिंग पेश करने के आदेश। फाइल फोटो

    विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को सेवाविस्तार देने की अनुमति देने से पहले क्या सक्षम प्राधिकारी को सूचित किया था कि सक्सेना के विरुद्ध आपराधिक मामले के अभियोजन की मंजूरी प्रदान कर दी है।

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    कोर्ट ने इस संदर्भ में संबंधित नोटिंग पेश करने के आदेश जारी किए। मामले पर सुनवाई 24 सितंबर को भी जारी रहेगी। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने केंद्र सरकार के अतिरिक्त सालिसिटर जनरल को आदेश दिए कि संबंधित नोटिंग एक विशेष संदेशवाहक के माध्यम से हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया जाए।

    याचिकाकर्ता अतुल शर्मा ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर मांग की है कि मुख्य सचिव के रूप में प्रबोध सक्सेना को छह महीने का सेवाविस्तार प्रदान करने वाले 28 मार्च 2025 के आदेश को रद करने के आदेश जारी किए जाएं।

    प्रार्थी द्वारा कोर्ट के समक्ष रखे तथ्यों के अनुसार 21 अक्टूबर 2019 को विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम राउज एवेन्यू कोर्ट नई दिल्ली ने प्रबोध सक्सेना के विरुद्ध दायर सीबीआइ आरोपपत्र का संज्ञान लिया है।

    प्रार्थी का कहना है कि 23 जनवरी 2025 को सीबीआइ ने पत्र जारी कर इस बात की पुष्टि की है कि प्रबोध सक्सेना के विरुद्ध आरोपपत्र दायर किया है और आपराधिक मुकदमा लंबित है। दागी होने के बावजूद 28 मार्च 2025 को कार्मिक मंत्रालय ने प्रबोध सक्सेना को 30 सितंबर 2025 तक मुख्य सचिव के रूप में छह महीने का विस्तार देने की अनुमति दे दी।