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    Himachal News: हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा देने की याचिकाओं पर 13 अगस्त को होगी सुनावाई

    Updated: Thu, 17 Jul 2025 10:43 AM (IST)

    शिमला हाई कोर्ट में हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा देने के खिलाफ याचिकाओं पर 13 अगस्त को अंतिम सुनवाई होगी। कोर्ट ने इस संबंध में जारी कानून के अमल पर रोक लगा रखी है। कोर्ट ने जनजातीय विकास विभाग के उस पत्र पर भी रोक लगाई है जिसके तहत प्रमाणपत्र जारी करने के आदेश थे।

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    हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा देने की याचिकाओं पर इस दिन होगी सुनवाई (File Photo)

    विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में सिरमौर जिले के ट्रांसगिरी क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा देने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 13 अगस्त को अंतिम सुनवाई होगी। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हुई।

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    हाई कोर्ट ने इस संबंध में जारी कानून के अमल पर रोक लगा रखी है। कोर्ट ने जनजातीय विकास विभाग हिमाचल प्रदेश के पहली जनवरी 2024 को जारी उस पत्र पर भी रोक लगाई है जिसके तहत क्षेत्र के लोगों को जनजातीय प्रमाणपत्र जारी करने बारे उपायुक्त सिरमौर को आदेश जारी किए थे।

    जनजातीय दर्जे को लेकर प्रदेश सरकार ने यह मामला वर्ष 1995, 2006 व 2017 में केंद्र सरकार को भेजा था। केंद्र सरकार ने हर बार इस मामले को तीन प्रमुख कारणों से नकार दिया।

    इन कारणों में एक तो उक्त क्षेत्र की जनसंख्या में एकरूपता का न होना बताया गया, दूसरा हाटी शब्द सभी निवासियों को कवर करने वाला एक व्यापक शब्द है जबकि तीसरा कारण था कि हाटी किसी जातीय समूह को निर्दिष्ट नहीं करते हैं।

    कोर्ट ने प्रथम दृष्टया में इन उपरोक्त तथ्यों के दृष्टिगत कानूनी तौर पर इन्हें जनजातीय क्षेत्र का दर्जा देना वाजिब नहीं पाया है। याचिका में आरोप लगाया है कि बिना जनसंख्या सर्वेक्षण के ही इस क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित कर दिया गया।

    अलग-अलग याचिकाओं में यह दलील दी गई है कि वे पहले से ही अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं।

    प्रदेश में कोई भी हाटी जनजाति नहीं है और आरक्षण का अधिकार हाटी के नाम पर उच्च जाति के लोगों को भी दे दिया गया जोकि कानूनी तौर पर गलत है।

    किसी भी भौगोलिक क्षेत्र को किसी समुदाय के नाम पर तब तक अनुसूचित जनजाति घोषित नहीं किया जा सकता ,जब तक वह अनुसूचित जनजाति के रूप में सजातीय होने के मानदंड को पूरा नहीं करता हो।