अब जमीन में पानी भी डालेंगे हैंडपंप, बढ़ेगा भू-जलस्तर Shimla News
सरकार की योजना है कि हैंडपंपों से पानी निकालने की अपेक्षा इन्हें पानी रिचार्ज का माध्यम बनाया जाए।
शिमला, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में भूजल स्तर में लगातार गिरावट से सरकार भी चिंतित है। भूजल के अत्याधिक दोहन के कारण ऐसी स्थिति पैदा हुई है। हैंडपंप भी इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है। अब सरकार ने आज तक स्थापित सभी हैंडपंपों की रिपोर्ट तलब की है। हाइड्रोलॉजिस्ट विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे। अब प्रदेश में हैंडपंप स्थापित नहीं होंगे। इनका चलन 90 के दशक में आरंभ हुआ। अभी तक राज्य में 40 हजार हैंडपंप स्थापित हो गए हैं। हाइड्रोलॉजिस्ट को बताना होगा कि मौजूदा समय में कितने हैंडपंप खराब है, कितने सही हालत में हैं, कितनों में पानी की गुणवत्ता खराब है।
सरकार की योजना है कि हैंडपंपों से पानी निकालने की अपेक्षा इन्हें पानी रिचार्ज का माध्यम बनाया जाए। टॉप निकाल कर पाइप के जरिए पानी को धरती के अंदर पहुंचाया जाएगा। वर्षा के पानी को जमीन के अंदर तक पहुंचाने के कारण भूजल स्तर में सुधार हो सकेगा। इससे कैसे भूजल स्तर सुधर सकता है, इसके लिए विशेषज्ञों को पूरी रिपोर्ट देनी होगी।
पहाड़ों में बारिश का पानी होता है बर्बाद
पहाड़ों में वर्षा जल तेजी से नीचे की ओर बहता है। यह भूजल को रिचार्ज कम करता है। इसकी बर्बादी ज्यादा होती है। ज्यादा बारिश होने से इसे ऊंचे स्थानों पर एकत्र नहीं किया जाता है। लेकिन अब यहां भी पानी की कमी महसूस हो रही है। परंपरागत जल स्रोत या तो सूख गए हैं या फिर सूखने के कगार पर हैं।
प्रदेश सरकार अब हैंडपंपों को किसी भी हालत में प्रोत्साहित नहीं करेगी। इसका कारण यह है कि प्रदेश में भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है। यह बात यही है कि इनकी रिपोर्ट मंगवाई गई है। कोशिश यही है कि इन पंपों को ही भूजल स्तर में सुधार का जरिया बनाया जाए। -महेंद्र सिंह ठाकुर, आइपीएच मंत्री।
कब, कितने हैंडपंप लगे
वर्ष,हैंडपंप लगे
1991-92,323
1992-93,789
1993-94,1496
1994-95,1000
1995-96,1001
1996-97,809
1997-98,1027
1998-99,792
1999-2000,1019
2000-2001,1148
2001-02,1077
2002-03,1570
2003-04,1057
2004-05,639
2005-06,269
2006-07,595
2007-08,852
2008-09,2188
2009-10,3007
2010-11,2713
2011-12,2761
2012-13,2762
2013-14,2084
2014-15,1241
2015-16,1252
2016-17,2197
2017-18,1597
2018-19,1809
कुल,39086 (इस साल के आंकड़े मार्च तक के हैं।)
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