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    सरकार ने छीन ली किसानों से जमीन!

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 07 Oct 2017 03:01 AM (IST)

    -शामलात जमीन वापस लेने की प्रक्रिया शिलाई से शुरू -शिलाई विकास खंड में एक लाख 4,163 बीघ ...और पढ़ें

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    सरकार ने छीन ली किसानों से जमीन!

    -शामलात जमीन वापस लेने की प्रक्रिया शिलाई से शुरू

    -शिलाई विकास खंड में एक लाख 4,163 बीघा शामलात जमीन की मालिक सरकार हुई

    -पूर्व भाजपा सरकार ने किसानों को लौटाई थी शामलात जमीन

    -विपक्ष के हाथ लगा सत्ता पक्ष को घेरने का बड़ा हथियार, छिड़ सकती है सियासी जंग

    रमेश सिंगटा, शिमला

    प्रदेश सरकार माननीयों को लाखों रुपये की सुख सुविधाएं दे रही है। माननीयों को घर बनाने के लिए जमीन लीज पर मिल रही है। वहीं, कांग्रेस सरकार ने पूर्व भाजपा सरकार द्वारा किसानों को दी गई शामलात जमीन वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसकी शुरुआत देश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार सिरमौर के शिलाई से हुई है।

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    विकास के मामले में अंतिम पंक्ति में खड़े सिरमौर जिला की सूरत संवारने के बजाय सरकार ने किसानों से उनका मालिकाना हक वापस ले लिया है। शिलाई ब्लॉक में शामलात जमीन फिर से सरकार में निहित कर दी गई है। इस संबंध में प्रशासनिक आदेश जारी हो चुके हैं। सूत्रों के अनुसार इस कार्रवाई को इतना गोपनीय रखा गया है कि किसी को भनक न लगे। इसमें अपील करने की मियाद भी समाप्त हो गई है। अब इस विकास खंड में एक लाख 4,163 बीघा शामलात जमीन की मालिक सरकार हो गई है। इससे किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि सरकार उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। बताते हैं कि इसी प्रक्रिया को दूसरे जिलों में भी शुरू करने की तैयारियां चल रही हैं। पूर्व धूमल सरकार ने 2001 में बड़ा फैसला लिया था। तत्कालीन सरकार ने पूरे प्रदेश में लाखों बीघा शामलात जमीन किसानों को आवंटित की थी। तकसीम के जरिये वे इसके मालिक बन गए। अब प्रदेश सरकार ने पूर्व सरकार के फैसले को पलट दिया है। हालांकि अभी इस पर आंशिक तौर पर ही अमल हुआ है। इससे विपक्ष को बैठे बिठाए सत्ता पक्ष को घेरने का बड़ा हथियार हाथ लग गया है। इससे जमीन से जुड़े मसले पर बड़ी सियासी जंग छिड़ सकती है।

    कैसे बंटी शामलात जमीन

    वर्ष 1974 में हिमाचल प्रदेश विले कॉमन लैंड, वेस्टिंग यूटिलाइजेशन एक्ट आया। इसके तहत शामलात जमीन किसानों से वापस सरकार में निहित हो गई। इससे पहले ये जमीन किसानों के पास थी। वर्ष 1950 के बाद जो भी किसान मामला यानी मालगुजारी देते थे, उन्हें यह जमीन आवंटित हुई थी। रिऑर्गेनाइजेशन एक्ट 1948, लैंड सीलिंग एक्ट 1972, एचपी विद लैंड एस्टेट एब्यूलेशन एक्ट 1954 के तहत सरकार को काफी जमीन हासिल हो गई थी। राजा-रजवाड़ों से लेकर बड़े भूस्वामियों से असीमित जमीन वापस ले ली गई थी। सरकार शामलात पूल से गरीब किसानों, भूमिहीनों व दलितों को जमीन आवंटित कर सकती थी। दलितों को घर बनाने के लिए भूमि मिल सकती थी।

    कब मिली किसानों को राहत

    वर्ष 2001 में भाजपा सरकार ने 1974 के एक्ट में संशोधन किया। इसमें सेक्शन थ्री में सब क्लॉज टू डी जोड़ी जिसमें कई शर्ते थीं। इसके तहत जो भी किसान 26 जनवरी 1950 से पहले राजस्व को मामला अदा कर रहे थे, उन सभी को मालिक बनाया गया। इस संबंध में दिसंबर 2001 में वित्तायुक्त राजस्व ने भी आदेश जारी किए थे। इससे पूर्व 1981 में भी एक्ट में संशोधन हुआ था। इसमें सेक्शन में 8 एक नई धारा जोड़ी गई। इसके तहत शामलात में से 50 प्रतिशत चरांद भूमि, सामूहिक मकसद के कार्यो के उपयोग के लिए रिजर्व रखी गई जबकि शेष 50 प्रतिशत भूमि को किसानों में आवंटित नहीं किया जा सकता था।

    कलेक्टर की सिफारिश पर हुई कार्रवाई

    शिलाई के उपमंडल कलेक्टर की सिफारिश पर शामलात जमीन से जुड़ी पूर्व की सभी तकसीमों व इंतकालों को निरस्त कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार उन्होंने अपने आदेश में खतरी राम बनाम स्टेट केस का भी हवाला दिया है। उनका तर्क था कि 1974 के एक्ट को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया, इस कारण इसमें संशोधन की शक्ति भी संसद को ही है।

    नहीं है जानकारी

    मुझे ज्वाइन किए चार दिन ही हुए हैं। शामलात जमीन का क्या स्टेटस है, इसकी कोई जानकारी नहीं है। अभी मैं इस संबंध में कुछ भी नहीं बता पाऊंगा।

    मस्तराम कश्यप, तहसीलदार, शिलाई

    लागू नहीं होने देंगे आदेश

    कानून राज्य विधानसभा में पास किया गया है। कोई अधिकारी कैसे इसकी अवहेलना कर सकता है। शामलात जमीन वापस होने की पुख्ता सूचना नहीं है। अगर किसी ने आदेश दिए होंगे, तो उसे लागू नहीं होने देंगे।

    हर्षवर्धन चौहान, अध्यक्ष, रोजगार सृजन एवं संसाधन जुटाव कमेटी