बच्चे को अगर सेहतमंद बनाना, दिन में चार बार खाना खिलाना
छोटे बच्चे के पेट में केवल एक कटोरी खाद्य पदार्थ की जगह होती है। इसलिए उन्हें बार बार खिलाएं।
राज्य ब्यूरो, शिमला : छोटे बच्चे के पेट में केवल एक कटोरी खाद्य पदार्थ की जगह होती है। बच्चे की उम्र के आधार पर यह जगह बढ़ती जाती है। यही कारण है कि छोटे बच्चों को दिन में केवल एक से दो बार नहीं बल्कि चार बार खाना खिलाने के लिए विशेषज्ञ व डायटीशियन सलाह देते हैं।
बच्चे को दिन में कम मात्रा में मगर थोड़ा-थोड़ा और बार-बार खिलाना चाहिए। उन्हें केवल तरल पदार्थ ही नहीं बल्कि अन्य खाद्य पदार्थ देना भी जरूरी है। कई लोग बच्चों को दिन में दो ही बार खाना खिलाते हैं जो नहीं होना चाहिए। जन्म के एक घटे के भीतर बच्चे को मां का पहला दूध पिलाना जरूरी है। इस दौरान पानी व घुट्टी बच्चे को न दें। प्रदेश में मां योजना के तहत माताओं को जागरूक किया जा रहा है। छह महीने तक मां का दूध ही बच्चों को पिलाना चाहिए। छह माह की आयु पूरी होने पर बच्चे को शक्तिवर्धक ऊपरी आहार का सेवन शुरू करें। आहार में उचित मात्रा में शर्करा दें जो केला, आलू, अनाज, चीनी, शकरकंदी, चावल, गेंहू आदि में होती है। कुछ माताएं बच्चों को दाल व चावल का पानी देती हैं। इससे भी बच्चे कमजोर होते हैं। बच्चों को चावल व दाल खाने के लिए मसल कर देना जरूरी है। छह से नौ माह के बच्चे को क्या दें
छह से नौ माह के बच्चे को मसली सब्जिया, अनाज, मसले हुए फल, दलिया आदि दिन में दो से तीन बार दें। शुरुआत में दो से तीन चम्मच दें जिसे बढ़ाकर एक से दो कटोरी तक किया जा सकता है।
छोटे बच्चों को खिलाते हुए धीरज रखें। उन्हें बार-बार प्रोत्साहित करें। शुरुआत दो या तीन चम्मच से करें और धीरे-धीरे भोजन की मात्रा बढ़ाते रहें। इस दौरान मा का दूध बच्चे की माग पर उसे पिलाएं। खाना नरम लेकिन गाढ़ा हो जिसे बच्चा आसानी से खा व पचा सके। हर रोज खाना बदल कर दें। नौ माह के बाद क्या दें बच्चे को
नौ माह के बाद बच्चे को छोटे टुकडों में मसला हुआ भोजन या आहार जो बच्चा स्वयं उठाकर खा सके, ऐसा भोजन दें। बच्चे के भोजन में एक चम्मच घी अथवा गुड डालने से उसमें ऊर्जा बढ़ती है। धूप में बच्चे को बिठाएं और थोड़ा-थोड़ा खाना बार-बार खिलाएं। समय-समय पर बच्चे का वजन करवाएं। विटामिन के साथ लोहतत्व जरूरी
पाच वर्ष की आयु तक हर छह महीने में एक बार विटामिन ए की खुराक पिलाना जरूरी है। छह माह की आयु से ताकत के लिए लोहतत्व भी जरूरी है। छह माह में एक बार पेट के कीडे़ मारने की दवा डॉक्टर से लिखवा कर जरूर दें। समय पर बच्चों का टीकाकरण करवाएं। कुपोषण के लक्षण
गंभीर कुपोषण का शिकार बच्चों में सूखा रोग, पैरों में सूजन, बीमार रहना, भूख न लगना, जुबान पर जख्म और आख व हथेली सफेद होना जैसे लक्षण होते हैं। ऐसे बच्चों में दस्त, खसरा और अन्य बीमारियों से मृत्यु की आशंका बढ़ जाती है। अगर दो वर्ष तक बच्चे की सेहत की उपेक्षा करें तो कुपोषण का शिकार होने से ऐसे बच्चों की सेहत और मानसिक विकास प्रभावित होता है। ये बच्चे कद काठी में कमजोर, पढ़ाई में कम ध्यान देने वाले और हर चीज में कम रुचि लेने वाले भी हो सकते हैं। उम्र के आधार पर दें आहार
छोटे बच्चों को बार-बार और थोड़ा-थोड़ा आहार दें। बच्चे को उसकी उम्र के आधार पर आहार देना जरूरी है।
डॉ. मंगला सूद, शिशु रोग विशेषज्ञ, आइजीएमसी शिमला
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