पूर्व राज्यपाल का निधन: प्रोटोकॉल पसंद नहीं था उर्मिला सिंह को
हिमाचल प्रदेश की पूर्व राज्यपाल उर्मिला सिंह का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को इंदौर में निधन हो गया ।
शिमला, प्रकाश भारद्वाज। न लाव लश्कर की परवाह और न दफ्तरी औपचारिकताएं...! ऐसी थीं हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल रह चुकी उर्मिला सिंह। मंगलवार को उनके देहावसान की सूचना पाकर हिमाचल भी उदास हुआ। उनके साथ कार्य कर चुके लोग बताते हैं कि राज्यपाल रहते हुए जब दिल्ली जाती थीं तो किसी को बिना बताए सरोजिनी नगर मार्केट में खरीदारी करने पहुंच जाती थीं, साथ होता एक पीएसओ।
उर्मिला सिंह को पुलिस की मौजूदगी नापसंद थी। राजभवन में आने वाले उनकी सादगी पर हैरान होते थे। राज्यपाल रहते हुए वह चाहती थी कि राज्य पर्यटन में अपना मुकाम बनाए। जिसके लिए सबसे जरूरी है कि सड़कें अच्छी हों। इसके साथ-साथ हैलीपैड अधिक बनाए जाएं। पर्यटकों की सुविधा के लिए टूरिस्ट गाइड होने चाहिए, ताकि राज्य में आने वाले पर्यटकों को सही जानकारी मिल सके। उनके कार्यकाल के दौरान प्रदेश में भाजपा व कांग्रेस की सरकारें रही। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल उनसे अकसर मिलने के लिए आते थे। वीरभद्र सिंह से भी उनके संबंध मधुर रहे। सरकार की किसी फाइल को अधिक समय तक नहीं रखती थी। तुरंत हस्ताक्षर किए और फाइल वापस। रोचक बात यह है कि सरकार को किसी प्रकार का सुझाव देना भी होता था तो स्वयं पहले ही कह देती थी। फाइल पर किसी प्रकार का सुझाव लिखना उचित नहीं समझती थी।
भले ही उर्मिला सिंह ने कानून की शिक्षा प्राप्त की थी, लेकिन साधारण गृहिणी थी और पति की असमय मृत्यु होने के बाद कांग्रेस पार्टी के आग्रह के बाद राजनीति में उतरी और एक नहीं कई बार विधायक रहने के साथ-साथ मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी रहीं। प्रदेश में अपने कार्यकाल के दौरान मंदिरों में जाना अच्छा लगता था। जाखू मंदिर में अधिक सीढ़ियां होने के कारण वह संकटमोचन मंदिर अकसर जाती थी।
मैं मानता हूं कि उनका निधन प्रदेश के लिए बहुत बड़ी क्षति है। प्रदेश को आगे ले जाने के लिए उन्होंने हमेशा बहुमूल्य सुझाव दिए।
-जयराम ठाकुर, मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश
दैनिक जागरण से उनके देहावसान की सूचना पाकर स्तब्ध हूं। वह बहुत शालीन और नेकदिल महिला थी जिन्होंने प्रदेश की उन्नति में योगदान दिया। मुझे गहरा दुख पहुंचा है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें। मैं और सब सहयोगी उन्हें कभी भूल नहीं पाएंगे।
-वीरभद्र सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश
वह बहुत शालीन और कर्मठ राज्यपाल थीं जिनके साथ हमारे पारिवारिक संबंध थे। मैं इस घटना को एक आघात की तरह ले रहा हूं। हमारा किसी बात पर टकराव नहीं हुआ। किसी कारणवश मेरे खिलाफ अभियोजन की मंजूरी दिए जाने का उन्हें अफसोस भी रहा लेकिन संबंध खराब नहीं हुए। भगवान उन्हें शांति दें।
-प्रेम कुमार धूमल, पूर्व मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश