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    शिमला: दवा लाइसेंस के बदले रिश्वत, ED ने कपिल धीमान के खिलाफ चार्जशीट की दायर; 2.07 करोड़ की संपत्ति जब्त

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 11:22 AM (IST)

    प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दवा लाइसेंस जारी करने और नवीनीकरण के बदले रिश्वत लेने के मामले में कपिल धीमान के खिलाफ शिमला कोर्ट में चार्जशीट दायर की। कप ...और पढ़ें

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    पद का दुरुपयोग कर पूर्व उप दवा नियंत्रक ने अर्जित की अपराध की कमाई (प्रतीकात्मक फोटो)

    जागरण टीम, शिमला। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हिमाचल प्रदेश में दवा बनाने के लाइसेंस जारी करने और रिन्यू करने के लिए बदले रिश्वत लेने के मामले में शिमला स्थित विशेष न्यायालय में पूर्व उप दवा नियंत्रक व ड्रग लाइसेंसिंग अथारिटी कपिल धीमान के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी है।

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    यह चार्जशीट धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत कपिल और अन्य के खिलाफ दायर की गई है। इससे पहले उक्त अधिनियम के तहत जांच के दौरान ईडी ने 12 जनवरी 2022 के एक प्रोविजनल अटैचमेंट आदेश के जरिए कपिल धीमान और उनके परिवार के सदस्यों की 2.07 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियों को भी अस्थायी रूप से अटैच किया था।

    ईडी ने सोलन में स्टेट विजिलेंस एंड एंटी-करप्शन ब्यूरो की ओर से प्रिवेंशन आफ करप्शन एक्ट, 1988 और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत कपिल धीमान (तत्कालीन डिप्टी ड्रग कंट्रोलर/ड्रग लाइसेंसिंग अथारिटी सोलन) के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू की थी।

    प्राथमिकी में दवा बनाने के लाइसेंस जारी और रिन्यू करने के लिए रिश्वत लेने सहित आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया गया था।

    जांच के बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारियों ने नौ मार्च 2018 को सोलन के स्पेशल जज के सामने इस मामले में धीमान और अन्य के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।

    निर्धारित अपराध के ट्रायल के दौरान सोलन के स्पेशल जज ने 11 दिसंबर 2024 को दिए फैसले में कपिल धीमान, लक्ष्मण सिंह धीमान (कपिल के पिता) और पुनीत धीमान (भतीजे) को अपराध में उनकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया था।

    ईडी की जांच में पता चला कि कपिल ने अपनी आधिकारिक स्थिति का दुरुपयोग कर अपने अधिकार क्षेत्र में काम करने वाली फार्मास्युटिकल फर्मों से अपराध की कमाई हासिल की। इस कमाई को अपने नाम और अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के नाम किया।

    उसने रिश्तेदारों के नाम पर चल और अचल संपत्तियों में निवेश कर खुद को बेदाग दिखाने की कोशिश की। ईडी की जांच में पता चला है कि यह पैसे बेनामी लेनदेन, बिना समझौते के असुरक्षित लोन, नकद भुगतान और जटिल बैंकिंग व्यवस्था के जरिए ट्रांसफर किए गए थे।