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    2027 में बदल सकता है हिमाचल विधानसभा का प्रारूप, सदन में 33 प्रतिशत महिलाएं आएंगी नजर

    Updated: Mon, 16 Jun 2025 06:48 PM (IST)

    वर्ष 2027 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा का स्वरूप बदल सकता है क्योंकि राज्य में जल्द ही जनगणना अभियान शुरू होगा। जनगणना के आंकड़ों से जातीय समीकरण सामने आएगा और महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलने की संभावना बढ़ेगी। विधानसभा सीटों के सीमांकन में जनसंख्या वृद्धि मुख्य कारण रहेगी और पुनर्सीमांकन का निर्णय परिसीमन आयोग लेगा।

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    2027 में बदल सकता है हिमाचल प्रदेश विधानसभा का प्रारूप। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, शिमला। वर्ष 2027 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा का प्रारूप बदल सकता है। ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि राज्य में 1 अक्तूबर 2026 से जनगणना अभियान को नए सिरे से शुरू करने संबंधी अधिसूचना को जारी कर दिया गया है। जनगणना के ताजा आंकड़ों से प्रदेश का जातीय समीकरण भी सामने आएगा।

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    साथ ही अगली विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलने की संभावना बढ़ गई है। इस स्थिति में विधानसभा सदस्यों की सीट संख्या भी बढ़ जाएगी और हिमाचल विधानसभा में एक नहीं, दो नहीं, प्रतिशतता के आधार पर महिलाओं की संख्या नजर आएंगी।

    संसद की तरफ से पहले ही महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण प्रदान करने संबंधी विधेयक को मंजूरी मिल चुकी है, जिस पर जनगणना का कार्य पूरा होने के बाद अमल होने की पूरी संभावनाएं है। यानी जनगणना के आगामी आंकड़ों के आधार पर महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का आरक्षण तय होगा।

    विधानसभा सीटों के सीमांकन में जनसंख्या वृद्धि प्रमुख कारण रहेगा, जिससे नई प्रशासनिक इकाइयां के गठन की आवश्यकता भी रहेगी। पुनर्सीमांकन के आधार विधानसभा क्षेत्रों के नाम और क्षेत्र दोनों बदलेंगे। ऐसी संभावना है कि पुनर्सीमांकन प्रशासनिक इकाई यानी एसडीएम कार्यालय को ध्यान में रखकर होगा। साथ ही पहले सामने आई विसंगतियों को भी इसमें दूर किया जा सकता है, जिसमें प्रशासनिक इकाई का प्रमुख रुप से ध्यान रखा जाएगा।

    हिमाचल प्रदेश की राजनीति में अभी से पुनर्सीमांकन की गूंज सुनने को मिल रही है। यानी मौजूदा विधानसभा क्षेत्र में जो विधायक चुनकर आएंगे, वह आगामी समय में वहीं पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे, जहां उनको अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित नजर आता है।

    पुनर्सीमांकन से पहले प्रदेश में अनुसूचित जाति आरक्षण रोटेशन की मांग भी बढ़ने लगी है। इसके तहत एक विधानसभा क्षेत्र को 5 वर्ष के लिए आरक्षित करने के बाद अगली बार दूसरे विधानसभा क्षेत्र को आरक्षित करना शामिल है। भले ही जनजातीय बहुल क्षेत्रों में किसी तरह की छेड़छाड़ न की जाए।

    हिमाचल प्रदेश के हाटी क्षेत्र को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने से संबंधी स्थिति स्पष्ट होने पर ही इस समुदाय के लिए विधानसभा सीट को आरक्षित करने की दिशा में बात आगे बढ़ेगी।

    राज्य में विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्सीमांकन का निर्णय परिसीमन आयोग लेगा। भविष्य में जब भी हिमाचल प्रदेश में पुनर्सीमांकन होगा तो इसी प्रक्रिया को अपनाया जाएगा। इसमें आयोग सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों से इस विषय पर चर्चा करेगा। साथ ही प्रबुद्ध वर्ग की बात को भी सुना जाएगा।