सिंधु बेसिन की पांच नदियों को मिलेगा नया जीवन, वन विभाग ने बनाई योजना
सिंधु बेसिन की पांच प्रमुख नदियों सतलुज ब्यास रावी चिनाव झेलम को गंगा नदी की तर्ज पर नया जीवन मिलेगा। ...और पढ़ें

शिमला, जेएनएन। सिंधु बेसिन की पांच प्रमुख नदियों सतलुज, ब्यास, रावी, चिनाब और झेलम को गंगा नदी की तर्ज पर नया जीवन मिलेगा। यह जीवनदायिनी नदियां अविरल बहती रहें, इसके लिए इनके आसपास के क्षेत्रों में वानिकी कार्य होंगे। इन पर हुए शोध से पता चला है कि ये भी प्रदूषण की जद में आ चुकी हैं। साथ ही इनमें पानी की मात्रा भी कम हो गई है। ऐसे में अब इनका उपचार देकर नया जीवन दिया जाएगा। इस सिलसिले में वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इसका आधार गंगा नदी की डीपीआर होगी। इसका जिम्मा शिमला स्थित हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान (एचएफआरआइ) को सौंपा गया है।
संस्थान पूरा ट्रीटमेंट प्लान बनाएगा। इसे स्वीकृत के लिए मंत्रालय के पास भेजा जाएगा। सतलुज, रावी और ब्यास हिमाचल में बहती हैं, जबकि चिनाब और झेलम जम्मू कश्मीर में सतलुज हिमाचल के बाद पंजाब से होकर गुजरती है। पांचों सिंधु की सहायक नदियां हैं। इनके पुनर्जीवन का काम पहली बार होगा। जलवायु परिवर्तन, मानवीय दखल, विकास गतिविधियों के कारण इनका पानी पहले जैसा शुद्ध नहीं रह गया है। अनुसंधान संस्थानों के शोध के बाद केंद्र सरकार ने तय किया है कि इनका व्यापक उपचार होगा। इसके लिए गंगा जैसा सफाई अभियान भी छेड़ा जाएगा।
शिमला में विचार-मंथन आरंभ नदियों को पुनर्जीवन देने के लिए प्रारंभिक खाका जल्द खींचा जाएगा। इसके लिए शिमला में विचार मंथन आरंभ हो गया है। हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान में दो दिवसीय आरंभिक विचार मंथन कार्यशाला शुक्रवार को शुरू हुई। इसमें हिमाचल, पंजाब, जम्मू कश्मीर और चंडीगढ़ के हितधारकों ने भाग लिया। इसमें वन, कृषि, बागवानी, पशुपालन जैसे कई महकमों के अधिकारियों व विशेषज्ञों ने विचार रखे। हिमाचल के वन मंत्री गोविंद ठाकुर ने भी इसमें शिरकत की।
गंगा नदी पर दी प्रस्तुति पीसीसीएफ वन्य प्राणी डॉ. सविता ने गंगा नदी की डीपीआर पर प्रस्तुति दी। वह अनुसंधान संस्थान देहरादून में कार्यरत थीं। इस डीपीआर को उनकी अगुवाई में तैयार किया गया था। सिंधु बेसिन की नदियों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने में गंगा की डीपीआर को मानक के रूप में प्रयोग किया जाएगा। पीसीसीएफ डॉ. अजय कुमार व पंजाब के पीसीसीएफ जितेंद्र शर्मा ने इसमें पूरा सहयोग देने का भरोसा दिलाया है। जितेंद्र ने कहा कि नदियों और जल से जुडे़ मुद्दे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर ¨चतन का विषय बने हुए हैं।
यह कार्यशाला डीपीआर बनाने की दिशा में अहम कड़ी साबित होगी। हिमालयी क्षेत्रों की नदियां पहाड़ सहित मैदानी इलाकों में जनसंख्या के बड़े भाग की आजीविका को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। यह जल अधिग्रहण क्षेत्रों में भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पारिस्थितिकी व वनों से संबंधित बहुत सारी प्रक्रियाओं के लिए भी उत्तरदायी हैं। डीपीआर बनाने में विभिन्न विभागों की सहभागिता और सहयोग जरूरी है। -गोविंद ठाकुर, वन मंत्री, हिमाचल।
केंद्र ने अहम जिम्मेदारी दी है। डीपीआर तैयार करने में कड़ी मेहनत करेंगे। सभी हितधारकों और विशेषज्ञों का सहयोग लेंगे। मंत्रालय के हर निर्देशों की कड़ाई से पालना होगा। -प्रभारी निदेशक, एसपी नेगी, एचएफआरआइ।

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