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    Himachal: फसलों पर ड्रोन से होगा खाद का स्प्रे, बंगाणा के किसानों को सितंबर से मिलेगी सुविधा

    किसानों को सितंबर से खेतों में बिजी गई फसलों को खाद देने के लिए ड्रोन की सुविधा मिलने जा रही है। इस आधुनिक तकनीक से एक एकड़ जमीन में नैनो तरल खाद को स्प्रे करने के लिए मात्र सात से 10 मिनट का समय लगेगा। पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार नैनो तरल खादों को बढ़ावा देने जा रही है।

    By Jagran NewsEdited By: MOHAMMAD AQIB KHANUpdated: Thu, 31 Aug 2023 01:19 PM (IST)
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    अब ड्रोन से होगा फसलों पर खाद और कीटनाशक का स्प्रे

    शिमला, जागरण संवाददाता: बंगाणा जिले के किसानों को सितंबर से खेतों में बिजी गई फसलों को खाद देने के लिए ड्रोन की सुविधा मिलने जा रही है। इस आधुनिक तकनीक से एक एकड़ जमीन में नैनो तरल खाद को स्प्रे करने के लिए मात्र सात से 10 मिनट का समय लगेगा।

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    पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार नैनो तरल खादों को बढ़ावा देने जा रही है। बोरी वाली खाद को पांच से छह वर्ष के दौरान बंद करने की योजना है। प्रदेश सरकार द्वारा सब्सिडी का बोझ कम करने के लिए किसानों को नैनो तरल खाद ही भविष्य में अनुदान पर उपलब्ध करने की योजना है।

    बोरी वाली खाद की कीमत नैनो तरल खाद की कीमत से आधे से भी कम है व नैनो तरल खाद को देश में ही तैयार किया जा रहा है। नैनो तरल के उपयोग से जहां पर्यावरण सुरक्षित रहेगा वहीं प्रदेश सरकार पर किसानों को सब्सिडी देने का बोझ भी काफी कम होगा। भविष्य में प्रदेश सरकार द्वारा 12-32-16 व यूरिया खाद नैनो तरल ही किसानों को उपलब्ध करवाई जाएगी।

    ऊना जिले के लिए सरकार द्वारा दो ड्रोन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। प्रदेश में 108000 टन खाद की खपत होती है जिसके लिए सरकार के करोड़ों रुपये विदेश से खाद खरीदने पर खर्च हो जाते हैं। नैनो तरल खाद का निर्माण देश में ही किया जा रहा है।

    बोरी वाली खाद व नैनो तरल दोनों में है 46 प्रतिशत नाइट्रोजन

    कई किसानों में धारणा है कि नैनो तरल खाद कम असरदार है, लेकिन कृषि विभाग के पूर्व अधिकारी डा. बलवंत वर्मा ने बताया कि दोनों खाद में 46 प्रतिशत नाइट्रोजन की मात्रा होती है। कोई भी खाद फसल के लिए कम असरदार नहीं है। किसानों में यह गलत धारणा है कि बोरी वाली खाद नैनो तरल से ज्यादा उपयोगी है।

    इफको उर्वरक इंचार्ज माशोक राह ने बताया कि नैनो तरल खाद का असर फसल के पौधों पर 86 से 90 प्रतिशत तक होता है। इस खाद को उपयोग में लाने से मिट्टी, पानी, हवा दूषित नहीं होगी व बाहर के देशों से खरीदारी नहीं करनी पड़ेगी।