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    विलुप्त हो रहे भोजपत्र का होगा संरक्षण

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 10 Feb 2021 05:54 PM (IST)

    विलुप्त हो रहे भोजपत्र पेड़ों की प्रजाति को बचाने के लिए हिमाचल प्रदेश जै

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    विलुप्त हो रहे भोजपत्र का होगा संरक्षण

    अनिल ठाकुर, शिमला

    विलुप्त हो रहे भोजपत्र पेड़ों की प्रजाति को बचाने के लिए हिमाचल प्रदेश जैव विविधता बोर्ड संरक्षित करेगा। भोजपत्र के वृक्ष सबसे ज्यादा चंबा जिले के पांगी स्थित सूराल भटोरी व हुडन भटोरी में पाए जाते हैं। इसके अलावा लाहुल स्पीति के नैन गाहर में भी इनकी संख्या काफी ज्यादा है।

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    बोर्ड ने बायो डायवर्सिटीज हेरिटेज साइट में इन दोनों क्षेत्रों को शामिल किया है। बोर्ड इन पेड़ों का संरक्षण भी करेगा। स्थानीय लोगों को इनका महत्व बताएगा। इनकी नई प्लांटेशन करवाई जाएगी। बोर्ड का कहना है कि इन साइट्स को इस तरीके से विकसित किया जाएगा, जिससे न केवल लोग जागरूक हों बल्कि पर्यटन की संभावनाएं बढ़ेंगी और व्यावसायिक गतिविधियां शुरू होंगी। इससे संबंधित पंचायतों और स्थानीय लोगों की आय का साधन मिलेगा। भोजपत्र के पौधे प्राकृतिक रूप से ही जड़ों से तैयार होते हैं। हालांकि वन विभाग ने भी पूर्व में भोजपत्र के बीज से पौधे तैयार करने के प्रयास शुरू किए हैं। इसमें काफी सफलता भी मिली है।

    गिटार, सितार और ड्रम बनाने को इस्तेमाल होती है लकड़ी

    प्राचीनकाल से ही भोजपत्र का बड़ा महत्व रहा है। प्राचीन समय में जब कागज नहीं था तो ग्रंथों की रचना भोजपत्रों पर ही की गई थी। संग्रहालयों में आज भी भोजपत्रों पर लिखे ग्रंथ मौजूद हैं। पांडुलिपियों को भी भोजपत्र पर ही लिखा गया है। छोटे रेशों के कारण उसकी लुगदी से टिकाऊ कागज भी बनता है। इसकी लकड़ी का उपयोग ड्रम, सितार, गिटार आदि बनाने में भी किया जाता है।

    4500 मीटर की चाहिए हाइट

    विशेषज्ञों के अनुसार भोजपत्र के पौधे समुद्रतल से 4,500 मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर ही उगते हैं। देशभर में भोजपत्र के जंगल नाममात्र रह गए हैं। इस कारण भोजपत्र विलुप्त होती प्रजाति में शामिल है। भोजपत्र के जंगल पहाड़ी क्षेत्रों उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल जैसे कुछ ही प्रदेशों में सिमटकर रह गए हैं। हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र पांगी और लाहुल स्पीति के अलावा किन्नौर में भी इस प्रजाति के पौधे पाए जाते हैं।

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    भोजपत्र के संरक्षण को लेकर बोर्ड कार्य कर रहा है। पांगी स्थित सूराल भटोरी, हुडन भटोरी और लाहुल स्पीति के नैन गाहर को बायो डायवर्सिटीज हेरिटेज साइट में शामिल किया है।

    अधिकारी शुभ्रा बैनर्जी, वरिष्ठ वैज्ञानिक जैव विविधता बोर्ड।