नशे के खिलाफ सख्त हुए सीएम सुक्खू, नशा तस्करी में लिप्त कर्मचारियों-अधिकारियों पर गिरेगी गाज
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नशे के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए घोषणा की है कि नशे की तस्करी में लिप्त सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसी पुख्ता सूचना मिली है कि कुछ अधिकारी और कर्मचारी नशा तस्करों को जानकारी लीक कर रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
राज्य ब्यूरो, शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्पष्ट कर दिया कि प्रदेश को नशा मुक्त करने के लिए नशे की तस्करी में शामिल कर्मचारी व अधिकारियों को बर्खास्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास ऐसी पुख्ता सूचना है कि सरकार में रहते हुए कुछ अधिकारी व कर्मचारी नशा तस्करों से जुड़ी जानकारियां लीक करते हैं। शीघ्र ही ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की युवा पीढ़ी को नशे से दूर रखने के लिए पुलिस और सीआईडी की नजर में स्कूल, कॉलेज व शिक्षण संस्थान रहेंगे। प्रदेश के किसी भी हिस्से में शिक्षण संस्थानों के निकट किसी भी तरह के नशे की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
इसका उल्लंघन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। सरकार ने संपत्ति को जब्त करने की व्यवस्था की है। विधानसभा में केवल सिंह पठानिया की ओर से लाए गए नशा रोकथाम और उपायों को लेकर लाया गया संकल्प सरकार की ओर से दिए गए आश्वासन के चलते वापस ले लिया गया।
'नशे पर की जाएगी गहरी चोट'
उन्होंने सदन को अवगत करवाया कि प्रदेश सरकार की ओर से लाए जा रहे अधिनियमों से नशे पर गहरी चोट की जाएगी। मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि ऊना जिला के अंब में एक गैर सरकारी संस्था नशा मुक्ति केंद्र चलाती थी। लेकिन नशा छुड़ाने के बजाए इस केंद्र पर नशे की लत लगाई जाती थी।
उन्होंने कहा कि नशे के आदी लोगों को कमरों में बंद करके कैसे नशा छुड़वाया जा सकता है। सोलन जिला के कोटला बेहड़ में 5 करोड़ की लागत से 150 बीघा भूमि में पुनर्वास केंद्र स्थापित किया जा रहा है।
'पाकिस्तान से आ रहा है नशा'
हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ बैठक हुई थी। जिसमें पाकिस्तान से पंजाब होते हुए प्रदेश में नशा पहुंच रहा था। लेकिन नशा तस्करों ने पिछले कुछ समय से नशे की तस्करी के लिए सिराज और आनी का रूट अपनाया था।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से उठाए गए कदमों से 30 प्रतिशत नशा कारोबार में कमी आई है। पंचायत स्तर पर पता होता है कि नशा कहां से आ रहा है और कहां पर नशा ग्रहण किया जा रहा है। सरकार ने सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए थे, जिसके परिणाम स्वरूप प्रदेश में नशे की खपत में 30 प्रतिशत की कमी आई है।
बच्चों को नशे से दूर रखने की जरूरत
इससे पहले विधायक कैप्टन रणजीत सिंह राणा ने नशे की समस्या को दूर करने के लिए खेलों को बढ़ावा देने की वकालत की। इसी तरह से विधायक संजय रत्न ने कहा कि बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए खेल नीति की आवश्यकता है।
उन्होंने हैरानी जताई कि पहले स्कूलों में पीटी होते थे, जोकि बच्चों को खेलों में व्यस्त रखते थे। निजी क्षेत्र में किसी भी संस्था को नशा रोकथाम पुनर्वास केंद्र चलाने की अनुमति न दी जाए। केवल सरकारी स्तर पर ही पुनर्वास केंद्र होने चाहिए।
विधायक राकेश जम्वाल का सुझाव था कि प्रदेश में नशे की जांच करने के लिए केवल आईजीएमसी में ही टेस्टिंग किट उपलब्ध है। प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में 1500 रुपये मूल्य की किट उपलब्ध करवाई जाए।
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