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    आईटीसीओएल बैंक धोखाधड़ी मामले में ओडिशा के दो परिसरों पर छापा, 10 लग्जरी गाड़ियां और करोड़ों की संपत्ति जब्त

    Updated: Mon, 01 Sep 2025 10:13 AM (IST)

    शिमला ईडी ने भुवनेश्वर में छापेमारी कर शक्ति रंजन दास के ठिकानों से 7 करोड़ की लग्जरी गाड़ियां जब्त कीं। यह कार्रवाई 1396 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले से जुड़ी है जिसमें आईटीसीओएल के निदेशकों पर फर्जी दस्तावेजों से ऋण लेकर गबन करने का आरोप है। ईडी ने पहले भी 310 करोड़ की संपत्ति जब्त की थी जिसमें से 289 करोड़ बैंकों को लौटाए गए।

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    आईटीसीओएल बैंक धोखाधड़ी मामले में ओडिशा के दो परिसरों पर ईडी ने छापामारी की है।

    राज्य ब्यूरो, शिमला। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) शिमला ने शनिवार को ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में बड़ी कार्रवाई करते हुए दो परिसरों में तलाशी अभियान चलाया।

    इनमें शक्ति रंजन दास का आवासीय परिसर और उनकी कंपनियों, मेसर्स अनमोल माइंस प्राइवेट लिमिटेड (एएमपीएल) तथा मेसर्स अनमोल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड (एआरपीएल) के व्यावसायिक परिसर शामिल थे।

    यह छापामारी मेसर्स इंडियन टेक्नोमैक कंपनी लिमिटेड (आईटीसीओएल) से जुड़े 1396 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में पीएमएलए, 2002 के तहत चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच का हिस्सा है।

    एएमपीएल के एमडी शक्ति रंजन दाश पर आरोप है कि उन्होंने आईटीसीओएल के प्रमोटर राकेश कुमार शर्मा की मदद से इस धनराशि को खनन गतिविधियों में लगाया और इसे वैध दिखाने की कोशिश की।

    ये किया छापामारी में बरामद

    10 लग्जरी गाड़ियां और 3 सुपर बाइक जब्त की गईं, जिनमें पोर्श कायेन, मर्सिडीज बेंज जीएलसी, बीएमडब्ल्यू-एक्स7, ऑडी ए3, मिनी कूपर, होंडा गोल्ड विंग बाइक आदि शामिल हैं। वाहनों की कीमत करीब 7 करोड़ रुपये आंकी गई है। 13 लाख रुपये नकद, लगभग 1.12 करोड़ रुपये के आभूषण, और कंपनियों से जुड़े आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए।

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    क्या है मामला?

    ईडी ने यह जांच हिमाचल प्रदेश पुलिस की सीआईडी द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि मेसर्स इंडियन टेक्नोमैक कंपनी लिमिटेड यानी आईटीसीओएल के निदेशकों ने अन्य कंपनियों, कर्मचारियों और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के साथ मिलकर बैंकों से प्राप्त ऋणों का गबन किया।

    ईडी की जांच में सामने आया कि 2009 से 2013 के बीच आईटीसीओएल ने बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम से जाली परियोजना रिपोर्ट और फर्जी बिक्री दिखाकर ऋण हासिल किए। बाद में इन ऋणों का उपयोग स्वीकृत उद्देश्यों के बजाय अन्य जगहों पर किया गया। इस धोखाधड़ी की कुल राशि लगभग 1396 करोड़ रुपये बताई जा रही है।

    अब तक की कार्रवाई

    ईडी ने इस मामले में पहले ही 310 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की थीं। इनमें से 289 करोड़ रुपये की संपत्तियां अप्रैल 2025 में बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंकों को वापस कर दी गईं।

    जांच के दौरान यह भी सामने आया कि आईटीसीओएल और उसकी फर्जी कंपनियों ने 59.80 करोड़ रुपये अनमोल माइंस प्राइवेट लिमिटेड (एएमपीएल) के खातों में जमा किए।