शिमला में बेकाबू आवारा कुत्तों का आतंक, नसबंदी और वैक्सीनेशन कैसे हो रही फेल?
राजधानी में आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण का असर कम दिख रहा है। कुत्तों के काटने के मामले बढ़ रहे हैं जो पहले बाहरी इलाकों तक सीमित थे लेकिन अब मालरोड और रिज मैदान जैसे क्षेत्रों में भी बढ़ रहे हैं। मई में एक सप्ताह में 100 से ज्यादा मामले सामने आए जिससे लोगों में दहशत है।

जागरण संवाददाता, शिमला। राजधानी में आवारा कुत्तों की नसबंदी व वेक्सीनेशन का कोई ज्यादा असर नहीं दिख रहा है। आवारा कुतों की आक्रमता को कम करने की बजाय इससे बढती दिख रही है। पहले शहर के उपनगरों में ये मामले आते थे, अब राजधानी के मालरोड व रिज मैदान पर भी इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं।
शहर में कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है. इस साल मई के महीने में एक सप्ताह में आवारा कुत्तों के लोगों को काटने से सबसे ज्यादा मामले सामने आए थे। हालांकि रुटीन में शहर से लेकर उपनगरों में सप्ताह में 10 से 15 मामले आवारा कुत्तों को काटने के आते हैैं।
मई महीने के तीसरे सप्ताह में एक ही सप्ताह में आवारा कुतों के लोगों को काटने से 100 से ज्यादा मामले आ गए थे। एक दिन में ही 15 से 17 मामले आवारा कुत्तों को काटने से आ रहे थे। हालांकि उस समय तर्क दिया था कि गर्मियों के चलते कुत्तों का व्यवहार बदल जाता है, लेकिन अब तो ये सिलसिला सितंबर तक भी नहीं थम रहा है। गर्मियों में मई महीने में एक ही सप्ताह में 103 मामले आवारा कुत्तों के काटने के सामने आए थे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।