हिमाचल में कुत्तों का आतंक: 3 साल में तीन लाख से ज्यादा को काटा, 11 की मौत
हिमाचल प्रदेश में कुत्तों का आतंक बढ़ रहा है। पिछले तीन वर्षों में तीन लाख से अधिक लोगों को कुत्तों ने काटा है, जिससे 11 लोगों की मौत हो गई है।

हिमाचल में तीन वर्ष में कुत्तों ने सवा तीन लाख लोगों को काटा। प्रतीकात्मक तस्वीर
राज्य ब्यूरो, धर्मशाला। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने बताया है कि हिमाचल प्रदेश में तीन वर्ष में (31 अक्टूबर 2025 तक) 3,26,170 लोगों को कुत्तों ने काटा है। इन तीन वर्ष में रेबीज से संदिग्ध मौतों की संख्या 11 है।
हालांकि सरकार ने बताया कि रेबीज से कोई प्रयोगशाला से प्रमाणित मृत्यु नहीं हुई है। डा. शांडिल ने यह जानकारी विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस विधायक राकेश कालिया के प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
उन्होंने बताया कि हिमाचल में कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ रहा है। आए दिन शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में कुत्तों द्वारा बच्चों, महिलाओं व बुजुर्गों को काटने के मामले सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग कुत्तों के काटने के शिकार प्रत्येक व्यक्ति का इलाज करवा रहा है। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग ने सभी अस्पतालों व स्वास्थ्य संस्थानों को निर्देश जारी कर रखे हैं।
कांगड़ा, शिमला व सोलन में सबसे ज्यादा मामले
कुत्तों के काटने के सबसे ज्यादा मामले कांगड़ा जिले में 54,649 सामने आए हैं। जिले में रेबीज से संदिग्ध मौतों की संख्या छह है। शिमला जिले में 52,695 लोगों को कुत्तों ने काटा है। यहां रेबीज से संदिग्ध मौतों की संख्या तीन है। सोलन जिले में 43,447 लोगों को कुत्तों ने काटा।
हिमाचल में हैं 1.80 लाख कुत्ते
हिमाचल में कुत्तों की संख्या एक लाख 80 हजार है। इनमें 77 हजार आवारा कुत्ते हैं। ये आंकड़ा राज्य अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग की वार्षिक रिपोर्ट में जारी किया गया था। जानकारों की मानें तो प्रदेश में कई लोग ऐसे हैं जो कुत्तों का पंजीकरण ही नहीं करवाते। इस कारण भी कुत्तों की वास्तविक संख्या का पता नहीं चल पाता।
दैनिक जागरण ने भी चलाया था अभियन
दैनिक जागरण भी आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या को लेकर समय-समय पर अभियान चलाता रहा है। इस वर्ष अक्टूबर में चलाए अभियान में सामने आया था कि शहर ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह समस्या गंभीर है।
जब कोई घटना होती है तो सरकारी स्तर पर औपचारिकता के तौर पर अभियान चलाए जाते हैं लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं निकलता है। कुत्तों की गणना की बात होती है लेकिन किसी भी नगर निकाय के पास इसका सटीक आंकड़ा नहीं है।
डॉग शेल्टर बनाने की दिशा में भी ठोस पहल नहीं हो पाई है। इसके बाद कई जिलों में कुत्तों का टीकाकरण व नसबंदी करवाने के साथ डाग शेल्टर बनने की दिशा में कदम बढ़ाए गए थे।
कुत्तों के काटने के मामले
| जिला | कुल मामले | मृत्यु |
|---|---|---|
| बिलासपुर | 15,801 | 0 |
| चंबा | 26,246 | 0 |
| हमीरपुर | 16,976 | 1 |
| कांगड़ा | 54,649 | 6 |
| किन्नौर | 5,236 | 0 |
| कुल्लू | 24,522 | 0 |
| लाहुल-स्पीति | 3,608 | 0 |
| मंडी | 25,072 | 0 |
| शिमला | 52,695 | 3 |
| सिरमौर | 26,794 | 1 |
| सोलन | 43,447 | 0 |
| ऊना | 31,124 | 0 |
| कुल (हिमाचल प्रदेश) | 3,26,170 | 11 |

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