हिमाचल प्रदेश में लड़कियों की सुरक्षा पुख्ता, स्कूलों में लगेंगे Complaint Box; छात्राएं कर सकेंगी शिकायत
हिमाचल प्रदेश में अब लड़कियां सुरक्षित रहेंगी। स्कूलों में अब कंप्लेंट बॉक्स लगाए जाएंगे। छेड़छाड़ व अन्य किसी तरह की शिकायत होगी तो उसे भी लिखकर बॉक्स में डाल सकेंगी। छात्राओं की शिकायतों के लिए प्रदेश के सभी उच्च औरवरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में शिकायत पेटी (कंप्लेंट बॉक्स) लगाए जाएंगे। शिकायत बॉक्स लगाने का उद्देश्य छात्राओं की समस्याओं को सुनना व उसका समाधान करना है।

जागरण संवाददाता, शिमला: हिमाचल में लड़कियों की सुरक्षा को और पुख्ता बनाया जा रहा है। स्कूलों में कई बार छात्राओं की शिकायत पर गंभीरता नहीं दिखाई जाती है। इस कारण कई मामले दब जाते हैं। अब शिक्षा विभाग ने हर स्कूल में छात्राओं के लिए अलग शिकायत बॉक्स लगाने को कहा है। छेड़छाड़ व अन्य किसी तरह की शिकायत होगी तो उसे भी लिखकर बॉक्स में डाल सकेंगी।
पाठशालाओं में लगाए जाएंगे कंप्लेंट बॉक्स
छात्राओं की शिकायतों के लिए प्रदेश के सभी उच्च औरवरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में शिकायत पेटी (कंप्लेंट बॉक्स) लगाए जाएंगे। शिकायत बॉक्स लगाने का उद्देश्य छात्राओं की समस्याओं को सुनना व उसका समाधान करना है। यह बॉक्स स्कूल परिसर में कहीं पर भी लगाए जा सकेंगे, ताकि छात्रा को यदि कोई परेशानी है तो वह अपनी समस्या का नोट बनाकर उसमें डाल सके।
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शिकायत पर की जाएगी तुरंत कार्रवाई
स्कूल के मुख्य अध्यापक और प्रधानाचार्य की मौजूदगी में यह शिकायत पेटी खोली जाएगी व शिकायत पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। यही नहीं शिक्षा निदेशालय को भी इसकी पूरी जानकारी दी जाएगी कि शिकायत पेटी में कितनी शिकायतें आई थी व उसका क्या निपटारा किया गया। उच्चतर शिक्षा विभाग के निदेशक डा. अमरजीत शर्मा की ओर से इस संबंध में सभी उपनिदेशकों को पत्र जारी किया गया है।
कई बार शिकायत करने से झिझक जाती हैं छात्राएं
छात्राएं कई बार कई तरह की परेशानियों से जूझ रही होती हैं। यह समस्या घर की भी हो सकती है तो कई बार स्कूल से जुड़ी भी। यानी स्कूल आने में पेश आने वाली दिक्कत, क्लास में कुछ समझ नहीं आ रहा, छेड़छाड़, शिक्षक का रवैया जैसी कई समस्याएं होती हैं।
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ऐसी शिकायतों को प्रधानाचार्य के समक्ष रखने से छात्राएं झिझक जाती हैं। जिसके चलते वे मानसिक रूप से परेशान रहती हैं। शिकायत पेटी में वह बिना नाम लिखे भी अपनी शिकायत बता सकती हैं। जानकारों का कहना है कि यदि बच्चा लिखकर शिकायत देता है तो काउंसलर बच्चे से बात करने के साथ उसके माता-पिता से बात कर सकते हैं।
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