'मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना के सेवा विस्तार में नियम तोड़े गए?", हिमाचल प्रदेश HC का केंद्र सरकार से तीखा सवाल
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को सेवाविस्तार देने की अनुमति से पहले सक्षम प्राधिकारी को सूचित किया गया था या नहीं। कोर्ट ने इस संदर्भ में संबंधित नोटिंग पेश करने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता अतुल शर्मा ने सेवा विस्तार रद्द करने की मांग की है क्योंकि सक्सेना के खिलाफ आपराधिक मुकदमा लंबित है। मामले पर सुनवाई जारी है।

विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को सेवाविस्तार देने की अनुमति देने से पहले क्या सक्षम प्राधिकारी को सूचित किया गया था कि सक्सेना के विरुद्ध आपराधिक मामले के अभियोजन की मंजूरी प्रदान कर दी गई है। कोर्ट ने इस संदर्भ में संबंधित नोटिंग पेश करने के आदेश जारी किए।
मामले पर सुनवाई आज यानि बुधवार को भी जारी रहेगी। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने केंद्र सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल कि आदेश दिए कि संबंधित नोटिंग एक 'विशेष संदेशवाहक' के माध्यम से हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। याचिकाकर्ता अतुल शर्मा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर मांग की है कि मुख्य सचिव के रूप में प्रबोध सक्सेना को छह महीने का सेवा विस्तार प्रदान करने वाले 28 मार्च 2025 के आदेश को रद्द करने के आदेश जारी किए जाएं।
प्रार्थी द्वारा कोर्ट के समक्ष रखे तथ्यों के अनुसार 21 अक्तूबर 2019 को विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम राउज एवेन्यू कोर्ट, नई दिल्ली ने प्रबोध सक्सेना के खिलाफ दायर सीबीआई आरोपपत्र का संज्ञान लिया गया है।
प्रार्थी का कहना है कि 23 जनवरी 2025 को सीबीआई ने पत्र जारी कर इस बात की पुष्टि की है कि प्रबोध सक्सेना के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया है, और आपराधिक मुकदमा लंबित है। दागी होने के बावजूद 28 मार्च 2025 को भारत सरकार, कार्मिक मंत्रालय ने प्रबोध सक्सेना को 30 सितंबर 2025 तक मुख्य सचिव के रूप में छह महीने का विस्तार देने की अनुमति दे दी।

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