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    'हिमाचल में ऑल इज वेल, पांच साल तक सुक्‍खू ही रहेंगे CM...'; राजनीतिक संकट पर डीके शिवकुमार का एलान

    By Agency Edited By: Himani Sharma
    Updated: Thu, 29 Feb 2024 05:56 PM (IST)

    Himachal Political Crisis हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक संकट पर कर्नाटक के उपमुख्‍यमंत्री डीके शिवकुमार (DK Shiv Kumar) को कांग्रेस ने पर्यवेक्षक बनाकर भेजा है। इसके बाद शिवकुमार ने कांग्रेस नेताओं से बात करने के बाद एलान किया है कि हिमाचल में सब कुछ सही चल रहा है। पांच साल तक ये ही सरकार रहेगी। वहीं शिवकुमार ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट कांग्रेस आलाकमान को सौंप दी है।

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    राजनीतिक संकट पर डीके शिवकुमार का एलान (फाइल फोटो)

    एएनआई, शिमला। हिमाचल प्रदेश में राजनितिक संकट के माहौल में कांग्रेस ने कर्नाटक के उपमुख्‍यमंत्री डीके शिवकुमार (DK Shiv Kumar) को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा है। शिवकुमार ने प्रतिभा सिंह और विक्रमादित्‍य सिंह से मुलाकात की। कर्नाटक के उपमुख्‍यमंत्री ने कहा है कि हिमाचल में सब कुछ ठीक है और सरकार अपने पांच साल का कार्यकाल भी पूरा करेगी। इसके बाद कांग्रेस ने राहत भरी सांस ली है।

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    सुलझ गए सभी मुद्दे: डीके शिवकुमार

    शिवकुमार ने आगे कहा कि हिमाचल में चल रहे सभी मुद्दों को सुलझा लिया गया है। अब सरकार में कोई समस्‍या नहीं है। बता दें शिवकुमार के साथ हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी बैठक का हिस्‍सा रहे। इस बीच नेताओं ने हिमाचल प्रदेश में संकट से निपटने के लिए नियुक्त कांग्रेस पर्यवेक्षकों ने आगामी लोकसभा चुनाव तक सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाए रखने की सिफारिश की है।

    कांग्रेस आलाकमान को सौंपी गई रिपोर्ट

    जानकारी के अनुसार राज्य में पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और डीके शिवकुमार ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट कांग्रेस आलाकमान को सौंप दी है। इससे पहले दिन में हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले छह कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया।

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    छह विधायकों को ठहराया अयोग्‍य

    जिन छह विधायकों को अयोग्य ठहराया गया है वे हैं-सुधीर शर्मा, राजिंदर राणा, दविंदर के भुट्टो, रवि ठाकुर, चैतन्य शर्मा और इंदर दत्त लखनपाल। बता दें 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद 68 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के पास 40 विधायक थे, जबकि भाजपा के पास 25 विधायक थे। बाकी तीन सीटों पर निर्दलीयों का कब्जा है। छह बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के साथ सदन की ताकत 68 से घटकर 62 हो गई है और आधे का आंकड़ा 32 है।

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