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    पहाड़ों पर भी खूब बहने लगा हैंडपंप से पानी

    By Edited By:
    Updated: Sun, 17 Jun 2012 12:31 AM (IST)

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    वरिष्ठ संवाददाता, शिमला : पहले हैंडपंप लगाने की बात केवल मैदानी इलाकों में ही तर्कसंगत थी, लेकिन अब पहाड़ों में भी यह प्रयोग बेहद सफल हुआ है। इसका नतीजा यह हुआ है कि पेयजल की समस्या से निजात दिलाने में यह हैंडपंप कारगर साबित हो रहे हैं। प्रदेश में दो दशक पूर्व केवल 323 हैंडपंप थे, वहीं अब यह बढ़कर 27 हजार का आंकड़ा पार कर चुके हैं। हिमाचल भी देश के उन राज्यों में शामिल है जहां बरसों पहले प्रदेश के सभी 17 हजार 495 जनगणना गांवों को पीने का पानी उपलब्ध करवाया गया है।

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    सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य मंत्री रविंद्र सिंह रवि ने 'दैनिक जागरण' को बताया कि प्रदेश में हर घर व खेत खलिहान में पानी पहुंचाने के लिए इस समय करीब साढ़े आठ हजार पेयजल योजनाएं चल रही हैं। इनमें उठाऊ, लिफ्ट व नलकूप योजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा 2400 छोटी-बड़ी सिंचाई योजनाएं चलाई जा रही हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार पेयजल को लेकर हिमाचल में देश के अधिकांश राज्यों की तुलना में स्थिति सुखद है, वहीं राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति निर्देशिका के अनुसार प्रदेश में 53 हजार 205 बस्तियों को चिन्हित किया गया है। इनमें करीब 20 हजार बस्तियों में पेयजल की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। सरकार ने वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान शेष बस्तियों में से 25 सौ बस्तियों को पीने का पानी पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है जिस पर युद्धस्तर पर कार्य चल रहा है।

    बकौल मंत्री, प्रदेश में पेयजल व सिंचाई क्षेत्र में हाल ही के चार साल में क्रांति आई है। इस दौरान अनेक लंबित पड़ी योजनाओं को पूरा किया गया है। हाल ही में दो मुख्य अभियंता के कार्यालय शिमला व हमीरपुर में खोले गए हैं। प्रदेश में केवल गर्मी के मौसम में ही आंशिक तौर पर कुछेक क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति बाधित रहती है। विभाग द्वारा प्रभावित इलाकों में टैंकरों व अन्य माध्यमों से पानी उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की जाती है। जहां वाहन का पहुंचना सुगम नहीं है वहीं घोड़ा व खच्चर से पानी पहुंचाया जा रहा है।

    एक नजर में पानी

    -कुल जलस्रोत : करीब डेढ़ लाख (बावड़ियां, अन्य पारंपरिक स्रोत, नलकूप, हैंडपंप व अन्य सभी जल स्त्रोतों को मिलाकर)।

    -उपजाऊ क्षेत्र : पांच हजार 83 लाख हेक्टेयर

    -प्रदेश का कुल क्षेत्रफल : 55 हजार 673 वर्ग किमी

    -एक दशक पहले मौजूद जल की मात्रा : 23507 एमसीएम

    -वर्तमान जल की मात्रा : चार हजार एमसीएम

    -सिंचाई के लिए सतह के पानी की मात्रा : 240.77 घन किमी

    -तयशुदा मानदंडों के अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में रोजाना 120 एलपीसीडी व ग्रामीण क्षेत्रों में 40 के स्थान पर 70 एलपीसीडी यानि रोजाना प्रति लिटर प्रति व्यक्ति पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है।

    प्रोजेक्टों को 15 फीसद पानी छोड़ना जरूरी

    इसके अलावा प्रदेश में जलनीति बनाई गई है। इसके अंतर्गत प्रदेश में चल रहे हाइड्रो प्रोजेक्ट्स के लिए कम से कम 15 फीसद पानी छोड़ना अनिवार्य किया गया है। पानी के लिए विभाग अपने स्तर पर अनेक योजनाएं चला रहा है, वहीं केंद्र की प्रायोजित अनेक योजनाओं स्व-जलधारा, जलमणी कार्यक्रम, ग्रामीण पेयजल वितरण योजनाएं पीने के पानी की आपूर्ति के लिए चल रही हैं। नाबार्ड, कमांड एरिया विकास के साथ अन्य योजनाएं चलाई जा रही हैं। सभी सरकारी व निजी भवनों में भी वर्षा जल संग्रहण की शर्त लगाई गई है।

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