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    Himachal: आपदाओं से निपटने के लिए 890 करोड़ का प्लान तैयार, CM सुक्खू बोले- कांगड़ा में SDRF की होगी स्थापना

    Himachal Pradesh मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार ने राज्य में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों और आपदा तैयारियों के दृष्टिगत 890 करोड़ रुपये का ‘हिमाचल प्रदेश आपदा जोखिम न्यूनीकरण और तैयारी कार्यक्रम’ बनाया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए आपदा और जलवायु जोखिम में कमी लाना है। इसमें शासन प्रणाली से संबंधित संरचनाओं का विस्तारीकरण शामिल है।

    By Jagran NewsEdited By: Prince SharmaUpdated: Thu, 31 Aug 2023 06:30 AM (IST)
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    आपदा तैयारियों के दृष्टिगत 890 करोड़ रुपये का ‘हिमाचल प्रदेश आपदा जोखिम न्यूनीकरण और तैयारी कार्यक्रम’ बनाया है।

    शिमला, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार ने राज्य में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों और आपदा तैयारियों के दृष्टिगत 890 करोड़ रुपये का ‘हिमाचल प्रदेश आपदा जोखिम न्यूनीकरण और तैयारी कार्यक्रम’ बनाया है। फ्रांसीसी विकास एजेंसी के सहयोग से तैयार यह कार्यक्रम अप्रैल, 2024 से आरंभ होगा और आगामी पांच वर्ष तक कार्यान्वित किया जाएगा।

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    बुनियादी ढांचे को मजबूत करना शामिल

    इस पहल का मुख्य उद्देश्य एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए आपदा और जलवायु जोखिम में कमी लाना है। इसमें आपदाओं का सामना करने के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और शासन प्रणाली से संबंधित संरचनाओं का विस्तारीकरण शामिल है।

    जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे से निपटने के दृष्टिगत सक्रिय कदम उठाना समय की आवश्यकता है। इस पंचवर्षीय योजना में कई प्रमुख घटक शामिल हैं, जिनमें आपदा जोखिम गवर्नेंस पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। इसमें संस्थागत क्षमताओं को बढ़ाना, जोखिमों को गहराई से समझना और ज्ञान प्रबंधन को मज़बूत करने पर बल दिया जाएगा।

    इसके अतिरिक्त आपदा तैयारियों को सुदृढ़ करना भी कार्यक्रम का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू है, जिसमें प्रभावी प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों की स्थापना और आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमता में वृद्धि की जाएगी।

    कार्यक्रम में आपदा से उत्पन्न जोखिमों को किया शामिल 

    इस कार्यक्रम के संसाधनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा शमन उपायों पर केंद्रित किया जाएगा, जिसमें पारिस्थितिकी आधारित ईको-आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रकृति-आधारित समाधान शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इसमें हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एचपीएसडीएमए) और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) को मजबूत करने के साथ-साथ राज्य आपदा प्रबंधन संस्थान की स्थापना भी प्रस्तावित है।

    इसके अतिरिक्त, योजना में एक राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (ईओसी) और जिला-स्तरीय आपदा परिचालन केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे। सभी नदी घाटियों के लिए ग्रामीण स्तर पर जलवायु परिवर्तन भेद्यता आकलन (सीसीवीए) के साथ-साथ कांगड़ा में एक विशेष आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) कंपनी की स्थापना की जाएगी।

    आपदा से निपटने के लिए दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत

    इसके अतिरिक्त योजना का लक्ष्य खतरनाक सामग्री से उत्पन्न होने वाली आपात स्थितियों से निपटने के लिए तीन मौजूदा अग्निशमन केन्द्रों की क्षमता बढ़ाना है। इसके साथ-साथ इसमें भू-स्खलन रोकने और संवेदनशील भू-स्खलन स्थलों का स्थिरीकरण शामिल किया गया है।

    उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव बढ़ने के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश आपदा जोखिम न्यूनीकरण और तैयारी कार्यक्रम के तहत विभिन्न आपदाओं से निपटने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। इस कार्यक्रम में पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने के लिए बहुआयामी रणनीति के साथ-साथ क्षमता विकास के लिए महत्त्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं।