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    शहर के अधिक लोग करते हैं तंबाकू का सेवन

    By Shikha VermaEdited By: Jagran News Network
    Updated: Thu, 09 Oct 2025 10:25 PM (IST)

    शहरी युवा गांव के मुकाबले ज्यादा नशे की चपेट में

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    शहर के अधिक लोग करते हैं तंबाकू का सेवन

    - आइजीएमसी के डेंटल कालेज के टीसीसी के आंकड़े कर रहे हैरान

    - 60 प्रतिशत शहरी और 40 ग्रामीण क्षेत्र के लोग कर रहे सेवन

    - 2 प्रतिशत लड़कियां व महिलाएं तंबाकू की लत की शिकार

    - 50 वर्ष की आयु के बाद 39 प्रतिशत लोग ही कर रहे इस्तेमाल

    शिखा वर्मा, जागरण

    शिमला : इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) के डेंटल कालेज के तंबाकू निषेध केंद्र (टीसीसी) के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इसमें सामने आया है कि गांवों से ज्यादा शहर के लोग तंबाकू उत्पादों की चपेट में हैं। इसमें दो प्रतिशत लड़कियां व महिलाएं भी इसकी लत की शिकार हैं। युवाओं में तंबाकू सेवन की बढ़ती लत के मद्देनजर देशभर में वीरवार से तंबाकू मुक्त युवा अभियान की शुरुआत हुई है। हिमाचल प्रदेश में भी युवाओं को जागरूक करने के लिए कई आयोजन हुए हैं।

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    आइजीएमसी के तंबाकू निषेध केंद्र में अस्पताल में दांत दिखाने के लिए आने वाले उन मरीजों को काउंसिलिंग के लिए भेजा जाता है जो तंबाकू या सिगरेट के आदी होते हैं। इससे छुटकारा दिलाने के लिए यहां पर इनकी काउंसिलिंग की जाती है। हर दिन लगभग आठ से 10 मरीज यहां भेजे जाते हैं। इस साल अभी तक 2500 से ज्यादा मरीजों को यहां भेजा है। इसमें से 60 प्रतिशत शहरी लोग तंबाकू व सिगरेट के आदी हैं जबकि 40 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। हैरत है कि नशे की इस लत से जहां युवा जवानी खराब कर रहे हैं, वहीं आयु के साथ नशे को छोड़ने की इच्छाशक्ति भी हासिल कर रहे हैं। 50 वर्ष तक की आयु के बाद 39 प्रतिशत लोग ही इसका इस्तेमाल करते हैं। अमूमन इस आयु के बाद लोग इससे दूरी बना लेते हैं।

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    अस्पताल में वर्ष 2022 में टीसीसी को शुरू किया है। इससे नशे की रोकथाम और उपचार दोनों में मदद मिलती है। नशा न केवल मनुष्य के शरीर बल्कि दांतों को भी बर्बाद कर रहा है। रोजाना नशा करने से मरीजों के दांत सड़ने लगते हैं और उनका पूरा डेंटल सेटअप समय से पहले खराब हो जाता है।

    आशु गुप्ता, प्रधानाचार्य डेंटल कालेज।

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    बड़ा सवाल : प्रतिबंध के बावजूद कहां से आ रहे गुटका, खैनी

    प्रदेश में गुटका व खैनी की बिक्री पर प्रतिबंध है। सवाल यह है कि ये कहां से आ रहे हैं। जिला प्रशासन, स्थानीय पुलिस, आबकारी व स्वास्थ्य विभाग की तंबाकू उत्पादों को रोकने की सामूहिक जिम्मेदारी है। विभागीय समन्वय न होने से गुटका व खैनी आदि प्रदेश में बिक रहे हैं। सीमाओं पर गहन जांच न होने के कारण ही अन्य राज्यों से इनकी आपूर्ति हो रही है। दुकानों पर खुली सिगरेट के साथ इन उत्पादों की बिक्री पर रोक है। कई स्थानों पर शिक्षण संस्थानों के नजदीक भी तंबाकू उत्पाद बिक रहे हैं जबकि इन संस्थानों के 100 मीटर के भीतर किसी भी तरह का तंबाकू उत्पाद बेचा जाना प्रतिबंधित है। इसके बावजूद अस्पतालों में तंबाकू के इस्तेमाल के सामने आ रहे आंकड़े बता रहे हैं कि प्रतिबंध के बावजूद शहर से लेकर गांव की दुकानों में इसकी उपलब्धता है। भारत में तंबाकू के उपयोग से हर वर्ष लगभग 13.5 लाख मौतें होती हैं। हिमाचल में भी तंबाकू के सेवन से कैंसर और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ा है।

    तंबाकू उत्पादों के सेवन के दुष्प्रभाव

    तंबाकू उत्पादों का सेवन शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। तंबाकू के सेवन से कैंसर, हृदय रोग और फेफड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। यह दांतों और मसूड़ों की समस्याओं का कारण बनता है। तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों में अवसाद और चिंता की समस्या भी आम है। विशेषज्ञों का मानना है कि तंबाकू उत्पादों से दूर रहना ही सबसे अच्छा विकल्प है।