386 लोगों की गई जान, 500 से ज्यादा सड़कें बंद... हिमाचल में तीन महीने में उजड़ गया सबकुछ
हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भूस्खलन से भारी तबाही हुई है। पिछले तीन महीनों में 386 लोगों की जान जा चुकी है और आर्थिक नुकसान 4465 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। राज्य में तीन राष्ट्रीय राजमार्गों समेत 500 से ज्यादा सड़कें बंद हैं। बारिश से जुड़ी आपदाओं में 218 लोगों की मौत हुई है जबकि 168 सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए। मंडी जिले में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं।

डिजिटल डेस्क, शिमला। हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भूस्खलन का कहर जारी है। पिछले तीन महीने से जनता बाढ़ और भूस्खलन की त्रासदी झेल रही है। 2025 के मानसून सीजन ने हिमाचल प्रदेश को अभूतपूर्व तबाही से जूझने पर मजबूर कर दिया है।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) ने के अनुसार की है कि 20 जून से अब तक 386 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि अनुमानित आर्थिक नुकसान बढ़कर 4,465 करोड़ रुपये हो गया है।
वहीं, एसडीएमए की शुक्रवार शाम 6 बजे की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य भर में तीन राष्ट्रीय राजमार्गों सहित 500 सड़कें अवरुद्ध हैं।
451 से ज्यादा लोग घायल
एसडीएमए द्वारा शुक्रवार को जारी नुकसान रिपोर्ट के अनुसार, भूस्खलन, अचानक बाढ़, बादल फटने, डूबने, बिजली का झटका लगने, सांप के काटने और घर ढहने सहित बारिश से संबंधित आपदाओं के कारण 218 मौतें हुईं। इसके अलावा, सड़क दुर्घटनाओं में 168 लोग मारे गए, जिससे कुल मृतकों की संख्या 386 हो गई।
एसडीएमए की रिपोर्ट बताती है कि इस मौसम में मानव जीवन के साथ-साथ 2,083 पशु भी मारे गए हैं, जबकि 26,955 से ज़्यादा मुर्गियां भी मरी हैं। 451 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और 1,544 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं, जबकि ज़िलों में 41 दुकानें, 38 गौशालाएं, 66 मजदूरों की झोपड़ियां और सैकड़ों घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं।
मंडी में सबसे ज्यादा मौत
मंडी में बारिश से संबंधित सबसे ज़्यादा 37 मौतें दर्ज की गईं, उसके बाद कुल्लू (31), कांगड़ा (33) और चंबा (21) का स्थान रहा। सड़क दुर्घटनाओं में, मंडी (24 मौतें), कांगड़ा (21), चंबा (22) और शिमला (18) सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए।
(समाचार एजेंसी एएनआई के साथ)
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