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    शायर, साहित्यकार व आयुर्वेद के ज्ञाता थे प्रार्थी : अरुण

    By Edited By: Updated: Thu, 03 Apr 2014 09:11 PM (IST)

    संवाद सहयोगी, शिमला : हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी द्वारा वीरवार को गेयटी थियेटर में लाल चंद प्रार्थी जयंती समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में साहित्यकार शबाब ललित, विनोद लखनपाल और हिमाचल से जुड़े राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखक खुशवंत सिंह के निधन पर दो मिनट का मौन रख कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार एवं रंगकर्मी श्रीनिवास जोशी ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उनके साथ निदेशक भाषा संस्कृति एवं सचिव अकादमी अरुण शर्मा और वरिष्ठ साहित्यकार राम दयाल नीरज भी उपस्थित रहे।

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    अरुण शर्मा ने कहा कि प्रार्थी शायर ही नहीं, साहित्यकार और आयुर्वेद के ज्ञाता भी रहे हैं। अकादमी हर वर्ष लाल चंद प्रार्थी, बाबा काशी राम और डॉ. यशवंत सिंह परमार की जंयती पर उनके व्यक्तित्व, कृतित्व से जुड़े विषयों पर चर्चा करवाती है। इसी कड़ी में वीरवार को प्रार्थी जयंती पर प्रार्थी की पुस्तक वजूद-ओ-अदम पर शोध लेख प्रस्तुत किया जा रहा है। पहला पत्र प्रार्थीकी शायरी वजूद-ओ- अदम पुस्तक के संदर्भ में एक विश्लेषण विषय पर किया गया, जिसे जाहिद अबरोल ने प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि प्रार्थी की पुस्तक वजूद-ओ-अदम का शाब्दिक अर्थ है अस्तित्व और अनस्तित्व। उन्होंने कहा कि प्रार्थी की शायरी में रूमानियत, प्रेम, फर्ज और अध्यात्म के दर्शन होते हैं।

    दूसरा पत्र हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र में महिला को पैतृक संपत्ति में अधिकार विषय पर था, जिसे डॉ. देव कन्या ठाकुर ने प्रस्तुत किया। इन्होंने तथ्यों सहित सामाजिक परिप्रेक्ष्य में महिलाओं की स्थिति का चित्रण किया। इन दोनों पत्रों पर गौतम शर्मा व्यथित, जेडआर सिद्दिकी, जयदेव विद्रोही, प्रत्यूष गुलेरी, राजेंद्र राजन, हेम राज कौशिक, राम दयाल नीरज, सत्यपाल भटनागर, जयदेव किरण, नरेंद्र अरुण आदि साहित्यकारों ने चर्चा में भाग लिया।

    कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीनिवास जोशी ने दोनों पत्रों को विषयानुरूप बताया। उन्होंने कहा कि हिमाचल में जनजातीय महिलाओं को अपने हक के लिए प्रयासरत होना पड़ेगा। वजूद-ओ-अदम पुस्तक पर पढे़ गए पत्र के बारे में उन्होंने कहा कि पुस्तक के बारे में और प्रार्थी की शायरी के बारे में दिए गए विचारों से उनके ज्ञान में वृद्धि हुई हैं। उन्होंने यह प्रस्ताव रखा कि इस पुस्तक का हिंदी अनुवाद प्रकाशित किया जाए। कार्यक्रम का संचालन अकादमी के वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी अशोक हंस ने किया। दूसरे सत्र में बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें मदन हिमाचली, केके तूर, शकर वशिष्ठ, जेडआर सिद्दिकी, भूप रंजन, त्रिलोक सूर्यवंशी, रत्‍‌न चंद निर्झर, राकेश कपूर, आरसी शर्मा, सीआरबी ललित, सत्य नारायण स्नेही, प्रेम लाल गौतम, ऊमा ठाकुर आदि लगभग 25 कवियों ने भाग लिया।