किन्नर कैलाश यात्रा बंद करने के आदेश पर आक्रोश
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संवाद सहयोगी, रिकागपिओ : भगवान शिव के शीतकालीन प्रवास स्थल किन्नर कैलाश सदियों से हिंदू व बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए आस्था का केंद्र है। वहीं भक्त भी हर्षोल्लास के साथ किन्नर कैलाश दर्शन करने जाते हैं। इस यात्रा के लिए देश भर से लाखों भक्त किन्नर कैलाश के दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन इस वर्ष देव सभा कमेटी तंगलिंग ने तुगलकी आदेश जारी करते हुए सदियों से चली आ रही यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया है। देव सभा कमेटी का मानना है कि यात्रा के दौरान भक्त कैलाश पर्वत पर गंदगी फैलाते हैं और उसका खमियाजा कुदरत के कहर के रूप में तंगलिंग गाव के लोगों को उठाना पड़ रहा है। इसी तरह किन्नर कैलाश पर प्राकृतिक रूप से उगने वाले ब्रह्म कमल का अप्राकृतिक रूप से दोहन करने से ब्रह्म कमल का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है। देव सभा के इस आदेश से सैकडों हिंदू भक्तों की आस्था पर चोट पहुंची है।
गौर रहे कि शिव की तपोस्थली किन्नौर के बौद्ध लोगों और हिंदू भक्तों की आस्था का केंद्र किन्नर कैलाश समुद्र तल से 24 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। किन्नर कैलाश स्थित शिवलिंग की ऊंचाई 40 फुट और चौड़ाई 16 फुट है। हर वर्ष सैकड़ों शिव भक्त जुलाई व अगस्त में जंगल व खतरनाक दुर्गम मार्ग से हो कर किन्नर कैलाश पहुचते हैं। यात्रा के दौरान शिव भक्त प्रकृति की मनोहारी दृश्य का नेत्रपान करते हुए निरतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं। किन्नर कैलाश की यात्रा शुरू करने के लिए भक्तों को जिला मुख्यालय से करीब सात किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग-5 स्थित पोवारी से सतलुज नदी पार कर तंगलिंग गाव से हो कर जाना पडता है। गणेश पार्क से करीब पाच सौ मीटर की दूरी पर पार्वती कुंड है। इस कुंड के बारे में मान्यता है कि इसमें श्रद्धा से सिक्का डाल दिया जाए तो मुराद पूरी होती है। ऐसे में हर वर्ष बहुत से प्रेमी पार्वती कुंड में सिक्का फेंककर मन्नत मांगते हैं। भक्त इस कुंड में पवित्र स्नान करने के बाद करीब 24 घटे की कठिन राह पार कर किन्नर कैलाश स्थित शिवलिंग के दर्शन करने पहुचते हैं। वापस आते समय भक्त अपने साथ ब्रह्मा कमल और औषधीय फूल प्रसाद के रूप में लाते हैं। यात्रा के बंद करने के आदेश से किन्नौर तथा देश भर के सैकडों शिव भक्तों ने देव कमेटी तंगलिंग से माग कि की यात्रा को यथावत रूप से शुरू करें, ताकि किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुचे।
'देव परका शकरस के आदेश पर ही किन्नर कैलाश यात्रा को बंद करने का फैसला देव सभा कमेटी ने लिया है। इस यात्रा से किन्नर कैलाश अपवित्र हो रहा है। इसके साथ उक्त क्षेत्र में पाए जाने वाले ब्रह्म कमल को भी लोग उखाड़ कर समाप्त कर रहे हैं।'
बलदेव सिंह फनेयान, अध्यक्ष देव सभा कमेटी तंगलिंग, किन्नौर।
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