Himachal News: कहां से आ रही बम से उड़ाने की मेल? 15 दिन बाद भी जांच एजेंसियां नहीं लगा पाईं सुराग, ऐसे छिपाई पहचान
हिमाचल प्रदेश सचिवालय और विभिन्न उपायुक्त कार्यालयों को बम से उड़ाने की धमकी भरे ईमेल की जांच जारी है। वीपीएन के माध्यम से भेजे गए इन ईमेल के वास्तविक प्रेषक का पता लगाने के लिए माइक्रोसाफ्ट से डेटा एक्सेस का अनुरोध किया गया है। संदिग्ध ने 300 से अधिक स्थानों पर ईमेल भेजे थे। माइक्रोसाफ्ट की रिपोर्ट से असली लोकेशन का पता चलने की उम्मीद है।

जागरण संवाददाता, मंडी। हिमाचल प्रदेश के सचिवालय सहित विभिन्न जिलों के उपायुक्त कार्यालयों को बम से उड़ाने की धमकी भरी ईमेल कहां से आ रही है, 15 दिन बाद भी जांच एजेंसियां सुराग नहीं लगा पाईं।
सुरक्षा एजेंसियों की ओर से अब माइक्रोसॉफ्ट को डाटा एक्सेस के लिए अनुरोध भेजा गया है, जिसके आधार पर मेल भेजने की वास्तविक लोकेशन का खुलासा हो सकता है।
वीपीएन से छिपाई असली पहचान
संदिग्ध ने इन धमकी भरे ईमेल को भेजने के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) का इस्तेमाल किया है। वीपीएन के जरिए भेजी गई ऑनलाइन गतिविधियों को ट्रैक करना बेहद मुश्किल होता है, क्योंकि यह यूजर की असली लोकेशन और आईपी एड्रेस को छिपा देता है। यही कारण है कि जांच एजेंसियां अभी तक ईमेल भेजने वाले तक नहीं पहुंच पाई हैं।
300 से अधिक स्थानों पर भेजे गए ईमेल
प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि शातिर ने देशभर के 300 से अधिक सरकारी कार्यालयों को यह धमकी भरे ईमेल भेजे थे। मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमांइड तहुव्वर राणा के नाम से भेजी ईमेल में तमिलनाडु के नेता प्रतिपक्ष का इसमें जिक्र किया गया है।
इससे ऐसा माना जा रहा था कि ईमेल भेजने वाले के तार तमिलनाडु से जुड़े हुए हो सकते हैं। लेकिन 15 दिन की जांच के बाद भी यह बात स्पष्ट नहीं हो पाई है। धमकी भरी ईमेल सबसे पहले डीसी मंडी, मुख्य सचिव व उसके कुछ दिनों के बाद डीसी चंबा व हमीरपुर को आई थीं।
माइक्रोसाफ्ट की रिपोर्ट से खुलेगा राज
ईमेल जिस प्लेटफार्म से भेजी गई, वह माइक्रोसाफ्ट की थी। जांच एजेंसियों ने माइक्रोसाफ्ट से तकनीकी सहायता मांगी है। उम्मीद की जा रही है कि माइक्रोसॉफ्ट प्रबंधन ईमेल लॉग्स, आईपी ट्रेल और अन्य तकनीकी जानकारी जल्द साझा करेगा, जिससे संदिग्ध की वास्तविक लोकेशन और गतिविधियों का पता लगाया जा सकेगा।
हालांकि, इस प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है क्योंकि विदेशी कंपनियों से डेटा प्राप्त करने में कानूनी औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं।
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