मंडी के ऐतिहासिक घंटाघर की घड़ी खराब
संवाद सहयोगी, मंडी : मंडी की इंदिरा मार्केट के घंटाघर की चारों घड़ियां अलग-अलग समय द
संवाद सहयोगी, मंडी : मंडी की इंदिरा मार्केट के घंटाघर की चारों घड़ियां अलग-अलग समय दर्शा रही हैं। इसके चलते यहां से गुजरने वाले लोग अकसर यही कहते हैं कि मंडी शहर का टाइम खराब है।
इंदिरा मार्केट की अलग ही पहचान इसके बीचों-बीच स्थित घंटाघर से है, लेकिन घंटाघर की घड़ियां कई दिनों से खराब हैं। इस घड़ी को सिर्फ कोलकाता के इंजीनियर ठीक कर सकते हैं लेकिन नगर परिषद प्रशासन आंख मूंदे बैठा है।
एक साल पहले इस घड़ी को ठीक करवाया गया था, लेकिन शिवरात्रि महोत्सव के लिए घंटाघर में हुए रंगरोगन के कार्य के दौरान घड़ी खराब हो गई थी। उसके बाद घड़ी को ठीक करने की किसी ने जहमत नहीं उठाई। कोलकाता से इंजीनियर्स को बुलाने से लाखों खर्च करने के बाद भी इसकी हालत दयनीय है। इस घंटाघर का निर्माण 78 साल पहले मंडी रियासत के राजा जोगेंद्र सेन ने करवाया था, लेकिन आज इन ऐतिहासिक धरोहरों को नहीं संभाल नहीं पा रहे हैं।
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ऐतिहासिक घंटाघर का इतिहास
इतिहासकारों का मानना है कि 1701 ई में मंडी और पड़ोसी रियासत भंगाल के बीच दुश्मनी चरम पर थी। हालांकि दोनों रियासतों में पूर्व में अच्छे संबंध थे, लेकिन किन्हीं कारणों से राजा सिद्ध सेन के कार्यकाल में दोनों रियासतों में दुश्मनी काफी बढ़ गई थी। भंगाल के राजा पृथी पाल भंगालिया को मंडी रियासत के तत्कालीन राजा सिद्ध सेन ने बंदी बनाकर उसका सिर कलम कर दिया। बताया जाता है कि दुश्मन राजा के सिर को राजा ने इसी स्थल पर दफन किया था। इसके अलावा राजा के शरीर के अन्य अंगों को इसके चारों ओर दबाया गया है। जहां-जहां राजा के शरीर के अंग दबाए गए थे, वे स्थान सदियों तक उसी स्थिति में रहे हैं। उक्त स्थलों के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की गई। 28 फरवरी, 1939 को राजा जोगेंद्र सेन ने यहां पर घंटाघर का निर्माण करवाकर तत्कालीन देश के मिलिटरी एडवायजर इन चीफ सर ऑर्थर एम मिल्ज से इसका शुभारंभ करवाया था।
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