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    Himachal News: जड़ी-बूटियों का नहीं होगा अवैध दोहन, अब महिलाएं करेंगी संरक्षित

    By Jagran News Edited By: Monu Kumar Jha
    Updated: Mon, 01 Jan 2024 09:30 AM (IST)

    ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के तीर्थन क्षेत्र में जिन औषधियों का दोहन होता था। उन्हीं को अब महिलाओं ने रोजगार का जरिया बनाया है। वन विभाग की पहल के बाद यहां पर ग्रामीण महिलाएं समूह बनाकर औषधीय खेती कर रही हैं। महिलाओं ने यहां पर मुश्कवाला पुष्करमूल कुटकी व कूठ जैसी जड़ी-बूटियां उगाई हैं। विभाग ने 45 समूह महिलाओं के बनाए हैं जिसमें पांच सौ के करीब इनकी संख्या है।

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    Himachal News Update: जड़ी-बूटियों का नहीं होगा अवैध दोहन। फाइल फोटो

    मुकेश मेहरा , मंडी। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क (जीएचएनपी) के तीर्थन क्षेत्र में जिन औषधियों का दोहन होता था उन्हीं को अब महिलाओं ने रोजगार का जरिया बनाया है। वन विभाग की पहल के बाद यहां पर ग्रामीण महिलाएं समूह बनाकर औषधीय खेती कर रही हैं।

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    महिलाओं ने यहां पर मुश्कवाला, पुष्करमूल, कुटकी, निहानी व कूठ जैसी जड़ी-बूटियां उगाई हैं। विभाग ने 45 समूह महिलाओं के बनाए हैं जिसमें पांच सौ के करीब महिलाएं जुड़ी हैं। जीएचएनपी व डाबर इंडिया के सहयोग से चलाए गए इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य ही औषधियों का दोहन रोकना है।

    ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में 493 से अधिक जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं, जिसमें 34 ऐसी हैं जो केवल यहीं पर मिलती हैं। यहां पर जड़ी-बूटियों का अवैध रूप से निकाला जाता था।

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    क्योंकि अधिकतर ग्रामीण लोगों की आय का साधन थीं। ऐसे में नेशनल पार्क प्रशासन ने इस समस्या से निपटने के लिए अरण्यपाल मीरा शर्मा ने स्थानीय महिलाओं के समूह बनाकर इन्हें इसकी खेती से जोड़ने के प्रयास आरंभ किए।

    इसके लिए नेशनल पार्क की बायोडायवर्सिटी टूरिज्म एंड कम्यूनिटी एडवांसमेंट (बीटीसीए) संस्था का समझौता डाबर इंडिया के साथ हुआ है। बीटीसीए के सचिव लाल चंद राठौर ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के आरंभ में अभी 15 से 20 बीघा में खेती की गई है। पौधे तैयार हो गए हैं।

    फरवरी में सैंज व जीवा परिक्षेत्र में इसकी खेती आरंभ होगी। जब यह फसल तैयार होगी तो डाबर इंडिया इसे खरीदेगी और इसके बाद अगली फसल के लिए बीज भी देगी। इससे क्षेत्र की महिलाओं को आय होगी। यह बूटियां 100 से 500 रुपये किलो तक बिकती हैं।

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