मंडी में महिला की जान बचाने में जुटा पूरा गांव, बारी-बारी पालकी में पहुंचाया अस्पताल; आपदा में तबाह हो गया था रास्ता
मंडी जिले के सराज में नर्वदा देवी नामक एक महिला को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण अस्पताल ले जाना जरूरी था। गांव तक सड़क संपर्क बाधित होने के कारण 25 ग्रामीणों ने मिलकर पालकी बनाई और उन्हें 9 किलोमीटर तक पहुंचाया। बारिश और फिसलन भरे रास्तों के बावजूद वे महिला को सुरक्षित अस्पताल पहुंचाने में सफल रहे। सड़क बहाल न होने से ग्रामीणों में आक्रोश है।

जागरण संवाददाता, मंडी। हिमाचल के मंडी जिले के सराज की पहाड़ियों में मानवता फिर कीचड़ से सनी पगडंडियों में कंधों पर उम्मीदों की पालकी उठाए दौड़ी। पखरैर पंचायत के करसौली गांव की नर्वदा देवी जब दर्द से तड़पने लगी तो गांव के 25 लोगों ने बारी-बारी चार घंटे तक पालकी में उठाकर सड़क तक पहुंचाया।
30 जून की रात आई विनाशकारी आपदा से गांव को जोड़ने वाला संपर्क मार्ग पूरी तरह तबाह हो चुका है। रास्ते के नाम पर केवल चट्टानें, कीचड़ और टूटे नाले हैं। जब नर्वदा देवी को बाजू और टांग में तेज दर्द हुआ, चक्कर आने पर स्वास्थ्य बिगड़ने लगा तो स्वजन और ग्रामीणों के सामने सबसे बड़ा प्रश्न था...कैसे ले जाएं अस्पताल, उत्तर मिला... हिम्मत और सामूहिकता से।
25 गांववालों ने मिलकर पालकी तैयार की। महिला को पालकी में उठाकर नौ किलोमीटर यात्रा शुरू कर दी। रास्ता बेहद संकरा, फिसलन और जोखिम से भरा था। लगातार हो रही बारिश के बीच, नाले उफान पर थे और हर कदम पर जान का खतरा था लेकिन ग्रामीणों ने उन्हें थमने नहीं दिया।
चार घंटे से भी ज्यादा समय लगे इस सफर में हर कदम पर एक नया संघर्ष था। कभी कीचड़ में फंसते पांव तो कभी बहते पानी में पालकी को संतुलन में रखना। आखिरकार महिला को देजी में सड़क तक लाया गया। वहां से उसे गाड़ी में नागरिक अस्पताल बगस्याड़ पहुंचाया। नर्वदा को वीरवार रात दर्द शुरू हो गई थी। रात को अस्पताल जाना संभव नहीं था।
कुछ दिन पहले गांव में राहत कार्यों के लिए आए सेना के जवानों ने दर्द आदि की दवा दी थी। उससे थोड़ा आराम मिला था। सुबह फिर स्वास्थ्य बिगड़ गया। आपदा के 18 दिन बाद भी सड़क बहाल न होने से ग्रामीणों में आक्रोश है। नर्वदा के पति चरण सिंह ने बताया कि करसौली में उनका घर संपर्क मार्ग से पांच मिनट की दूरी पर है।
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