Move to Jagran APP

ब्रिटिश हुकूमत की याद दिलाता है मंडी का विक्टोरिया पुल

छोटी काशी के नाम से मशहूर मंडी शहर का विक्टोरिया पुल ब्रिटिश हुकूमत की यादें आज भी ताजा कर रहा है।

By Munish DixitEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 01:15 PM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 01:28 PM (IST)
ब्रिटिश हुकूमत की याद दिलाता है मंडी का विक्टोरिया पुल

मंडी [सुरेंद्र शर्मा] छोटी काशी के नाम से मशहूर मंडी शहर का विक्टोरिया पुल ब्रिटिश हुकूमत की यादें आज भी ताजा कर रहा है। महारानी विक्टोरिया के नाम पर इस पुल का निर्माण 1877 में किया गया है। इस पुल को इंग्लैंड में बने विक्टोरिया पुल की तर्ज पर बनाया गया है। अंग्रेजी इंजीनियरों की कुशल कारीगरी का बेजोड़ नमूना यह पुल अब भी लोगों का भार ढो रहा है। किसी भी भवन या पुल के निर्माण के दौरान उसकी उम्र तय की जाती है और उसके बाद उसे भी असुरक्षित घोषित कर दिया जाता है, लेकिन 141 साल पहले बने मंडी शहर के ऐतिहासिक विक्टोरिया पुल के साथ ऐसा नहीं हो पाया है। अंग्रेज इंजीनियरों द्वारा तय की गई आयु पूरी करने के 41 साल बाद भी यह ऐतिहासिक विक्टोरिया पुल लगातार बोझ ढो रहा है।

loksabha election banner

तब एक लाख में बना था विक्टोरिया पुल

एक जनवरी 1877 को लार्ड लिंटन ने महारानी विक्टोरिया के राज्यभिषेक पर दिल्ली दरबार का आयोजन किया था। इसमें भारत की रियासतों के समस्त राजा आमंत्रित थे। उस दौरान मंडी रियासत के राजा विजय सेन ने भी इस दरबार में शिरकत की थी। दिल्ली दरबार से लौटने पर राजा विजय सेन ने एक लाख रुपये की लागत से इस ऐतिहासिक पुल का निर्माण किया और इसका नाम महारानी विक्टोरिया के नाम पर विक्टोरिया केसरी पुल रखा गया। इतिहासकारों का यह भी मत है कि मंडी रियासत के राजा विजय सेन ने अंग्रेजों द्वारा दिल्ली में आयोजित एक प्रतियोगिता में कार जीती थी और उस कार को मंडी तक लाने के लिए पुल का निर्माण करवाया गया था। पुल के दोनों प्रवेश द्वारों की मरम्मत कर इस पर जमी कालिख (काई) को पूरी तरह से हटा कर इसे साफ किया गया। पहले विक्टोरिया पुल पर बने प्रवेश द्वारों की हालत खस्ता हो चुकी थी। जिसे अब साफ कर चमकाया गया है। प्रवेश द्वारों पर लगे कई पत्थर भी खराब हो चुके थे। जिन्हें अब उसी रूप में दोबारा लगा दिया गया है।

रोशनी से बढ़ती है इसकी चमक

विक्टोरिया पुल के नीचे लगे गार्डरों पर दोनों तरफ एलईडी लाइट्स लगाई गई हैं। इससे विक्टोरिया पुल की सुंदरता बढ़ गई है। बताते हैं कि लंदन में भी इसी तर्ज पर विक्टोरिया पुल बना है। उस पुल पर लगी लाइट्स से रात का नजारा और सुंदर लगता है। उसी तर्ज पर मंडी शहर में बने इस पुल पर भी रंग-बिरंगी लाइटें लगाई गई हैं। रात को लाइट्स के जगमगाने से इसकी सुंदरता को चार चांद लग जाते हैं।

उपायुक्‍त मंडी ऋग्वेद ठाकुर कहते हैं क‍ि धरोहर बन चुके इस पुल पर वाहनों का दबाव कम करने के मकसद से ब्यास नदी पर एक समानांतर पुल का निर्माण शुरू किया गया है। करीब बीस करोड़ की लागत से निर्मित होने वाले इस पुल का निर्माण कार्य जारी है। पुल के तैयार हो जाने के बाद एतिहासिक विक्टोरिया पुल पर से आवाजाही बंद कर इस धरोहर को सहेज कर रखने की योजना है। इसके स्वरूप को बनाए रखते हुए इसके जीर्णोद्धार के लिए मरम्मत कार्य किया गया है। बड़े वाहनों की आवाजाही पर पुल से रोक लगाई गई है। समानांतर पुल बनने के बाद ऐतिहासिक धरोहर पर से वाहनों की आवाजाही बंद कर दी जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.