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    Tapeworm Infection: सूअर के मांस से होने वाला टेपवर्म संक्रमण नहीं बनेगा जानलेवा, IIT मंडी ने विकसित की वैक्सीन

    By hans raj sainiEdited By: Rajat Mourya
    Updated: Tue, 26 Sep 2023 08:49 PM (IST)

    पोर्क टेपवर्म खाद्य जनित बीमारियों से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है। इसमें दिव्यांगता के साथ जीवन का भी नुकसान होता है। विकासशील देशों में 30 प्रतिशत मिर्गी के मामलों में इसका योगदान है। गंदगी व स्वतंत्र रूप से घूमते फिरते सूअरों वाले क्षेत्रों में 45 से 50 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। हालांकि अब यह संक्रमण जानलेवा साबित नहीं होगा।

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    सूअर के मांस से होने वाला टेपवर्म संक्रमण नहीं बनेगा जानलेवा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    मंडी, जागरण संवाददाता। Vaccine For Tapeworm Infection सूअर के मांस (पोर्क) से होने वाला टेपवर्म संक्रमण अब जानलेवा नहीं बनेगा। वैक्सीन अब लोगों को सुरक्षित रखेगी। मिर्गी के बीमारी से भी राहत मिलेगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी (IIT Mandi) के शोधार्थियों ने वैक्सीन विकसित की है। शोधार्थियों ने प्रोटीन अध्ययन व जैव सूचना विज्ञान (बायोइनफॉर्मेटिक्स) से वैक्सीन के लिए सुरक्षित एवं प्रभावी प्रोटीन के टुकड़ों की पहचान की है। आंत्रिक व उच्च गंभीर मस्तिष्क संक्रमण का मुख्य कारण टेपवर्म हैं। इससे मिर्गी भी होती है।

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    तीन संस्थानों के शोधार्थियों ने मिलकर किया शोध

    शोध आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमित प्रसाद के नेतृत्व में हुआ। इसमें पंजाब के दयानंद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल व हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के विज्ञानियों का सहयोग रहा है। शोध चुनौतीपूर्ण संक्रामक बीमारियों की वैक्सीन (टीके) का उत्पादन करने में नवीन, तीव्र एवं अधिक प्रभावी दृष्टिकोण प्रदान करेगा।

    पोर्क टेपवर्म खाद्य जनित बीमारियों से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण

    पोर्क टेपवर्म खाद्य जनित बीमारियों से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है। इसमें दिव्यांगता के साथ जीवन का भी नुकसान होता है। विकासशील देशों में 30 प्रतिशत मिर्गी के मामलों में इसका योगदान है। गंदगी व स्वतंत्र रूप से घूमते फिरते सूअरों वाले क्षेत्रों में 45 से 50 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। हालांकि, अब यह संक्रमण जानलेवा साबित नहीं होगा।

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    उत्तर भारत में मस्तिष्क संक्रमण का प्रसार चिंताजनक

    उत्तर भारत में मस्तिष्क संक्रमण का प्रसार चिंताजनक रूप से 48.3 प्रतिशत के उच्च स्तर पर है। इस संक्रमण वैश्विक स्तर पर 1.5 बिलियन लोगों प्रभावित होते हैं। संक्रमण रोकने में एल्बेंडाजोल व प्राजिकेंटेल कृमिनाशक दवा का बड़े पैमाने पर सेवन कराया जा रहा है। इसमें सार्वजनिक भागीदारी में कमी और दवा प्रतिरोध के बढ़ते जोखिमों के कारण कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

    अंडे या लार्वा से प्राप्त उत्पादों से बने टीके कारगर नहीं

    वर्तमान में मार्केट में उपलब्ध टीके टेपवर्म के अंडों या लार्वा से प्राप्त उत्पादों या एंटीजन का उपयोग करके विकसित किए गए हैं। यह विश्वसनीय नहीं हैं। इनमें समय भी अधिक लगता है। शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करने के लिए पूरे टेपवर्म या टेपवर्म के कुछ हिस्सों को इंजेक्ट करना एक सुरक्षित या व्यावहारिक दृष्टिकोण नहीं है। एक बेहतर व सुरक्षित तरीका यह है कि टेपवर्म से केवल विशिष्ट प्रोटीन या अंशों को मनुष्य में इंजेक्ट किया जाए। यह प्रक्रिया दुष्प्रभावों को कम करती है। टेपवर्म को टीके के प्रति प्रतिरोध विकसित करने से रोकती है।

    प्रोटीन टुकड़े की पहचान करना लंबी प्रक्रिया

    मजबूत टीकाकरण क्षमता वाले सही प्रोटीन टुकड़े की पहचान करना अधिक मेहनत व समय लेने वाली प्रक्रिया है। इससे बचने के लिए शोधार्थियों ने प्रोटीन अध्ययन व जैव सूचना विज्ञान के संयोजन का उपयोग किया है। एसोसिएट प्रोफेसर डा.अमित प्रसाद ने बताया कि शोध में सबसे पहले टेपवर्म के सिस्ट तरल पदार्थ के विशिष्ट एंटीजन की पहचान की गई। रोगियों के रक्त सीरम के साथ परीक्षण करके प्रतिरक्षा प्रणाली को ट्रिगर किया गया।

    इसके बाद सुरक्षित व प्रभावी प्रोटीन टुकड़े खोजने के लिए प्रतिरक्षा.सूचना विज्ञान उपकरणों का उपयोग करके इन एंटीजन का विश्लेषण किया गया। आकार,स्थिरता व प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ अनुकूल कारकों को ध्यान में रखते हुए एक मल्टी.पार्ट वैक्सीन बनाने के लिए इन टुकड़ों को संयोजित किया गया। यह प्रयास स्वास्थ्य कर्मियों को न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस से निपटने में नया उपकरण प्रदान करेगा।

    शोध जर्नल ऑफ सेल्युलर बायोकेमिस्ट्री में प्रकाशित

    शोध अमेरिका के जर्नल आफ सेल्युलर बायोकेमिस्ट्री में प्रकाशित हुआ है। इसके सह लेखक डॉ. रिमनप्रीत कौर, प्रोफेसर गगनदीप सिंह, डॉ. नैना अरोड़ा, डॉ. राजीव कुमार, सूरज एस रावत व डॉ. अमित प्रसाद हैं।

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