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    मंडी की स्‍पेशल कचौरी की दिल्ली-मुंबई तक पहुंची महक

    मंडी की कचौरी की महक दिल्ली व मुंबई तक पहुंच रही है इसे हवाई जहाज से अन्‍य राज्‍यों तक पहुंचाया जा रहा है।

    By BabitaEdited By: Updated: Mon, 15 Oct 2018 10:16 AM (IST)
    मंडी की स्‍पेशल कचौरी की दिल्ली-मुंबई तक पहुंची महक

    मंडी, काकू चौहान। मंडी के पारंपरिक व्यंजन कचौरी की महक दिल्ली व मुंबई तक पहुंच रही है। लोगों की मांग पर हवाई जहाज के माध्यम से बाहरी राज्यों में इस व्यंजन को पहुंचाया जा रहा है। बाहरी राज्यों से आने वाले आर्डर पर स्थानीय व्यवसायी पहले इसे हवाई अड्डा भुंतर कुल्लू तक निजी वाहन में पहुंचाते हैं। इसके बाद यहां से हवाई जहाज के माध्यम से बाहरी राज्यों में भेजा जाता है। जबकि प्रदेश के विभिन्न जिलों में इसकी सप्लाई आम हो गई है। गेहूं के आटे व उड़द के मिश्रण से तैयार होने वाले इस पारंपिक व्यंजन के प्रति बदलते दौर में भी लोगों का क्रेज लगातार बना हुआ है। 

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    फास्ट फूड की अंधाधुंध चमक के बीच भी बुजुर्गों से लेकर युवा व समाज का हर वर्ग इस व्यंजन को खूब पसंद कर रहा है। हालांकि इसके स्वाद व बनाने की विधि में अब भी कोई बदलाव नहीं हुआ है। कचौरी के प्रति लोगों के बढ़ते रुझान को देखते हुए जिला मंडी में हर गली मोहल्ला में इसकी दुकानें खुल गई हैं और यह पकवान यहां के लोगों की आजीविका का साधन बना हुआ है। त्योहारों में भी इस पकवान को परोसा जाता है। शहर में कचौरी का कारोबार करने वाले किरपा राम ने बताया कि उनके पास कचौरी की काफी डिमांड रहती है। हर मौसम में कचौरी की मांग बराबर रहती है।

    15 से 25 रुपये तक एक कचौरी की कीमत

    बाजार में वर्तमान में एक कचौरी की कीमत 15 रुपये से लेकर 25 रुपये तक है। ब्रेकफास्ट, लंच व डिनर किसी भी समय इसे खाया जा सकता है। इन दिनों एक समय के खाने के लिए कम से कम 50 से 60 रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन कचौरी 15 से 20 रुपये में ही मिल जाती है और एक समय का भरपेट खाना मिल जाता है।

    कचौरी बनाने की विधि

    कचौरी गेहूं के आटे व उड़द दाल के मिश्रण से बनाई जाती है। इसके लिए सबसे पहले खमीर (बासी आटा) तैयार किया जाता है। इस खमीर को थोड़ी सी मात्रा में आटे में मिलाया जाता है। इसके बाद आटे को गूंथ कर करीब एक घंटा रख दिया जाता है। उधर, उड़द दाल को करीब तीन से चार घंटे तक पानी में भिगोने के बाद पिसाई की जाती है। फिर नमक, मिर्च, धनिया, बड़ी इलायची, जीरा व अन्य मसाले मिलाने के बाद उड़द को कटोरी के आकार के बने आटे के पेड़े में डालकर इसे बंद किया जाता है। फिर इसे बेलन या दोनों हाथ से रोटी की तरह बनाया जाता है। करीब दो घंटे बाद इसे खौलते तेल में फ्राई किया जाता है और कचौरी तैयार हो जाती है। कचौरी को आचार व चटनी के साथ खाया जाता है। इसके अलावा देसी घी व दही तथा दूध या चाय के साथ भी खा सकते हैं।