Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भूस्खलन में खो गया बेटा, तलाश में 19 दिन से दर-दर भटक रहा पिता; दोस्तों के साथ दिल्ली से घूमने आया था मणिकर्ण

    Updated: Tue, 23 Sep 2025 06:47 PM (IST)

    मंडी में नजीर अली का 17 वर्षीय बेटा मोहम्मद फैज 31 अगस्त को मणिकर्ण घूमने गया था। 4 सितंबर को भुंतर-मणिकर्ण मार्ग पर भूस्खलन में वह लापता हो गया। 19 दिन बाद भी उसका पता नहीं चला है। प्लंबर नजीर अली बेटे को ढूंढने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।

    Hero Image
    भूस्खलन में खो गया दिल्ली का मोहम्मद फैज। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, मंडी। कहते हैं कि मां-बाप के लिए संतान से बड़ा कोई सुख-संसार नहीं होता, लेकिन जब वही संतान आंखों के सामने हादसे में गुम हो जाए तो जिंदगी बोझ बन जाती है। उत्तर पूर्वी दिल्ली के कर्दमपुरी के नजीर अली पिछले 19 दिनों से यही बोझ ढो रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उनका 17 वर्षीय बेटा मोहम्मद फैज 31 अगस्त को अपने चचेरे भाई व केरल के कुछ दोस्तों के साथ मणिकर्ण घूमने आया था। दिल्ली से यह लोग बस में मंडी तक आए थे। यहां से टैक्सी कर मणिकर्ण गए थे।

    चार सितंबर को सभी घर वापस जा रहे थे। दोपहर बाद करीब तीन बजे भुंतर मणिकर्ण मार्ग पर जाच्छणी में पहाड़ में हुए भूस्खलन की चपेट में सभी लोग आ गए थे। स्थानीय लोगों ने मोहम्मद फैज के चचेरे भाई व उसके तीन दोस्तोंं को जान जोखिम में डाल बचा लिया था।

    अचानक दोबारा भूस्खलन होने से मोहम्मद फैज को नहीं बचा पाए थे। वह मलबे में दब गया या फिर मलबे के साथ पार्वती नदी में बह गया। 19 दिन बाद भी इसका पता नहीं चल पाया है।

    उसी रात भुंतर थाना ने नजीर अली को काल की थी कि उसका बेटा भूस्खलन की चपेट में आने से लापता हो गया है। रात को अपने बड़े भाई व दो दोस्तों के साथ नजीर अली भुंतर पहुंचा था,तब से हर जगह बेटे काे ढूंढने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अब तक हाथ खाली ही हैं।

    वह कभी पार्वती नदी किनारे खड़े होकर घंटों पानी का बहाव,ताे कभी भूस्खलन स्थल के पास बैठ देखता रहता है कि मानो बेटे का चेहरा वहीं से निकलकर सामने आ जाएगा।

    मोहम्मद फैज सबसे बड़ा बेटा था। आइटीआइ से इलेक्ट्रानिक्स की पढ़ाई कर रहा था। पेशे से प्लंबर नजीर अली की थकान, भूख व नींद उससे कब की रूठ चुकी है। आंखें लगातार नम हैं, लेकिन हिम्मत पत्थर सी मजबूत। हर किसी से बस एक ही प्रश्न है कि क्या मेरे बेटे का कुछ पता चला?

    इस प्रश्न में पिता का दर्द, उम्मीद व बेबसी तीनों झलकते हैं। स्थानीय लोग भी उनकी व्यथा देखकर भावुक हो उठते हैं, लेकिन किसी के पास कोई उत्तर नहीं होता है।