Move to Jagran APP

हाइड्रस सॉफ्टवेयर बताएगा पानी की कहानी, जानें क्या है इस सॉफ्टवेयर की विशेषता

आइआइटी मंडी में अंतरराष्ट्रीय स्तर की तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा जिसमें देश में दूसरी बार हाइड्रस सॉफ्टवेयर के उपयोग को लेकर चर्चा होगी।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 08:35 AM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 08:35 AM (IST)
हाइड्रस सॉफ्टवेयर बताएगा पानी की कहानी, जानें क्या है इस सॉफ्टवेयर की विशेषता
हाइड्रस सॉफ्टवेयर बताएगा पानी की कहानी, जानें क्या है इस सॉफ्टवेयर की विशेषता

मंडी, हंसराज सैनी। भूमिगत पानी कितना शुद्ध है? कितने समय के लिए उपलब्ध रहेगा? किस स्थान पर पेयजल व सिंचाई योजना लंबे समय के लिए बन सकती है? हैंडपंप कहां लगाना उचित रहेगा? सरकार व सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग को अब इस बात की चिंता नहीं सताएगी। ‘हाइड्रस’ सॉफ्टवेयर अब भूमिगत पानी की उपलब्धता व शुद्धता की कहानी बताएगा। 

loksabha election banner

 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी ने इस दिशा में (कारगर पहल की है। अब पेयजल व सिंचाई योजनाएं वैज्ञानिक तरीके से बनेंगी। भूमिगत पानी में कितनी अशुद्धियां हैं। स्त्रोत यानी मौके पर ही इस बात का पता लगाना संभव होगा। सात साल बाद देश में दूसरी बार हाइड्रस सॉफ्टवेयर के उपयोग को लेकर आइआइटी मंडी में अंतरराष्ट्रीय स्तर की तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन होगा। इससे पहले कार्यशाला 2012 में आयोजित हुई थी। उसका आयोजन भी आइआइटी मंडी ने किया था। देश की अधिकांश जनता पेयजल व सिंचाई  के लिए आज भी भूमिगत जलस्तर पर निर्भर है।

अवैध खनन से भूमिगत जलस्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है। वैज्ञानिक तरीके से कूड़े कचरे का निष्पादन न होने से भूमिगत जल लगातार दूषित हो रहा है। किस स्थान पर भूमिगत जलस्तर कितना दूषित है, सॉफ्टवेयर से तुरंत इस बात का पता लगाना संभव होगा। इससे ऐसे स्थान पर हैंडपंप या फिर कोई पेयजल योजना बनाने से बचा जा सकता है। भूमिगत पानी की बहाव दर व कितने समय के लिए पानी उपलब्ध है? हाइड्रस सॉफ्टवेयर एक एक चीज बारीकी से बताएगा? खेत को सिंचित करने के लिए कितना पानी चाहिए? जमीन में कितनी नमी है? इस पर भी सॉफ्टवेयर से नजर रखना संभव होगा। प्रदेश में करीब 40000 हैंडपंप हैं। इनमें 15 फीसद हैंडपंप इन्हीं कारणों से खराब हो चुके हैं। 

देश में 89 प्रतिशत भूमिगत जल सिंचाई  में प्रयोग देश में सर्वाधिक 89 प्रतिशत भूमिगत जल को सिंचाई में होता है। घरेलू में नौ व उद्योगों में दो फीसद उपयोग होता है। शहरी क्षेत्र में 50 फीसद व ग्रामीण क्षेत्रों में 85 फीसद पानी की जरूरत भूमिगत पानी से पूरी होती है। ऐसे में भूमिगत जल के संसाधनों के संरक्षण के लिए दीर्घकालीन योजना बनानी होगी। अकेले हिमाचल प्रदेश में ही प्रतिवर्ष 0.12 बिलियन क्यूबिक मीटर भूमिगत पानी का उपयोग हो रहा है। 

घर बैठे कर सकेंगे मतदाता सूची में गलती ठीक, निर्वाचन आयोग ने शुरु की ये नयी सुविधा

हाइड्रस सॉफ्टवेयर की विशेषता

-विभिन्न प्रकार की मृदा में भूमिगत पानी के स्तर व बहाव की उपलब्धता का पता लगाने में समक्ष

-खेत सिंचित करने  में कितना पानी चाहिए, पानी की उपलब्धता, उसमें मौजूद कीटनाशक की मात्रा व थ्री डी तकनीक से खेत का कुल आकार बताने में उपयोगी

-ट्यूबवेल, हैंडपंप व कुएं के निर्माण में करेगा मदद

 देश में पेयजल व सिंचाई के क्षेत्र में भूमिगत जल का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। उद्योगों व शहरी क्षेत्रों से निकले वाले कूड़े से भूमिगत जल स्त्रोत भी दूषित हो रहे हैं। हाइड्रस सॉफ्टवेयर से इस पर आसानी से नजर रखना संभव होगा। सात साल बाद देश में दूसरी बार अंतरराष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। 

-डॉ. दीपक स्वामी, सहायक प्रोफेसर स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, आइआइटी मंडी

हिमाचल की अन्य खबरें पढऩे के लिए यहां क्लिक करें 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.