'सड़क बहाल नहीं हुई तो आत्महत्या करने को मजबूर...', सराज घाटी में 80 दिन बाद भी बंद रोड़ से परेशान हुए लोग
सराज घाटी के रूशाड़ गांव में सड़क आपदा के 80 दिन बाद भी बंद है। ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से पोकलेन मंगवाई लेकिन पुलिस और वन विभाग ने काम रोक दिया। डीएसपी ने मशीन हटाने की चेतावनी दी। ग्रामीणों ने जल्द सड़क बहाल न होने पर आत्महत्या की चेतावनी दी है। मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है।

संवाद सहयोगी, थुनाग। सराज घाटी का छोटा-सा पहाड़ी गांव रूशाड़ आज भी 30 जून को आई भीषण आपदा के घाव सह रहा है। त्रासदी के 80 दिन बाद भी पांडवशिला रूशाड़ को जोड़ने वाली तीन किलोमीटर सड़क मलबे में दबी है। 13 गांवों के 1280 लोग आज भी सड़क न खुलने से परेशान हैं। गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को पालकी में बिठाकर मुख्य सड़क तक पहुंचाना ग्रामीणों की मजबूरी बन चुकी है।
वीरवार को समय पर इलाज न मिलने से गांव के एक बुजुर्ग की मौत ने ग्रामीणों के आक्रोश को और बढ़ा दिया। ग्रामीणों ने हताशा में अपने पैसे जोड़कर सड़क बहाल करने का निर्णय लिया। चार से छह गांवों के 70 परिवारों ने आपसी सहयोग से ठेकेदार बुलाकर पोकलेन मंगवाई। वीरवार देर शाम कार्य शुरू किया। लेकिन कुछ ही देर बाद जंजैहली पुलिस और वन विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंच गए और काम रुकवा दिया।
ग्रामीण गोल्डी ठाकुर और पंचायत प्रधान नरेश ठाकुर ने बताया कि मुश्किल से ठेकेदार व मशीन उपलब्ध कराई थी, लेकिन प्रशासन ने रोक लगा दी। मामला बिगड़ता देख शुक्रवार को डीएसपी करसोग गौरवजीत सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों के आग्रह पर स्थल निरीक्षण किया और कहा कि वन विभाग की शिकायत पर सड़क निर्माण रोका गया है। डीएसपी ने ग्रामीणों से मशीन हटाने को कहा, अन्यथा जब्त करने की चेतावनी दी।
मौके पर उपस्थित लोगों ने डीएसपी से आग्रह किया कि 80 दिन से बंद पुलिया को खोलें, जिसमें उनकी गाड़ियां फंसी पड़ी हैं और संभव है कि लापता लोगों के शव भी हों। इस पर डीएसपी ने शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन दिया। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द सड़क बहाल नहीं हुई तो वे आत्महत्या करने को मजबूर हो जाएंगे। रक्षाबंधन पर्व पर भी पंचायत की महिलाएं भूखी-प्यासी सड़क पर बैठकर चक्का जाम कर चुकी हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह सड़क राजनीति और रसूखदारों के दबाव की भेंट चढ़ रही है। कभी कोई काम रोक देता है, कभी कोई। 27 जुलाई को बहाली शुरू हुई तो कुछ घंटों बाद मशीन को अन्यत्र भेज दिया गया। परिणामस्वरूप निर्माण फिर बंद हो गया। लोक निर्माण के जंजैहली मंडल के अधिशाषी अभियंता ललित कुमार जरियाल ने कहा कि यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है, जिसके कारण काम अटका है।
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