कठोर कानून के बावजूद नशे की प्रवृत्ति में वृद्धि चिंताजनक, न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने मंडी में समाज से की खास अपील
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने मंडी में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जताई। उन्होंने समाज से इस समस्या के खिलाफ एकजुट होकर काम करने की अपील की। उन्होंने कहा कि केवल कानून से ही समाधान नहीं होगा, समाज को भी जिम्मेदारी निभानी होगी और जागरूकता फैलानी होगी।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत मंडी में लोगों से संवाद करते हुए। जागरण
कठोर कानून के बावजूद नशे की प्रवृत्ति में वृद्धि चिंताजनक, न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने मंडी में समाज से की अपील
प्राकृतिक आपदा से व्यापक स्तर पर नुकसान,कारणों का गहन विश्लेषण आवश्यक
मानव और प्रकृति के मध्य बढ़ते संघर्ष ने पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंचाई
वीर सैनिक सहायक योजना देश की सीमाओं की रक्षा में तैनात सैनिकों के स्वजन को मिलेगी कानूनी सहायता
मंडी में आयोजित विशाल विधिक साक्षरता शिविर अभियान की अध्यक्षता की
जागरण संवाददाता, मंडी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एवं राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने नशामुक्त समाज के निर्माण का आह्वान करते हुए कहा कि नशा किसी भी रूप में व्यक्ति के जीवन में प्रवेश करता है, तो वह पूरे परिवार को प्रभावित कर देता है।
कठोर कानून होने के बावजूद नशे की प्रवृत्ति में वृद्धि चिंताजनक है। इसे रोकने के लिए समाज को एकजुट होकर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों और नागरिकों से अपील की कि वह अपने क्षेत्र में नशा नियंत्रण के लिए पुलिस प्रशासन एवं पैरा-लीगल वालंटियर्स के साथ सहयोग करें। परिवारों का सहयोग इस दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हिमाचल से गहरा भावनात्मक संबंध
शनिवार को हिमाचल के मंडी के ऐतिहासिक पड्डल मैदान में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण व हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित विशाल विधिक साक्षरता शिविर अभियान की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हिमाचल से उनका गहरा भावनात्मक संबंध रहा है। हाल के समय में राज्य में आई प्राकृतिक आपदाओं से भारी जनहानि हुई है। उन्होंने कहा कि इस कठिन समय में राज्यवासियों ने आपदा पीड़ितों की सहायता के लिए आगे बढ़कर जो मानवीय संवेदना प्रदर्शित की है, वह हमारे देश की महानता, चरित्र और सहयोग भावना का प्रतीक है।
राहत कोष की स्थापना को सराहा
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा राहत कोष की स्थापना को सराहनीय पहल बताया, जिसके माध्यम से पीड़ितों को त्वरित सहायता प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं से व्यापक स्तर पर नुकसान हुआ है, जिसके कारणों का गहन विश्लेषण आवश्यक है।
मानव और प्रकृति में बढ़ते संघर्ष से पर्यावरण को क्षति
हमारी संस्कृति में प्रकृति को माता के रूप में पूजने की परंपरा रही है, परंतु वर्तमान में मानव और प्रकृति के मध्य बढ़ते संघर्ष ने पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंचाई है। इस चुनौती के समाधान के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने बताया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने इस दिशा में केरल राज्य में एक विशेष योजना आरंभ की है, जिसके अंतर्गत पैरा-लीगल वालंटियर्स ग्रामीण स्तर पर पर्यावरण संरक्षण एवं जैव विविधता के प्रति जनजागरूकता फैला रहे हैं।
सरकार की योजनाओं पर उठाए सवाल
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए सरकारें कई योजनाएं संचालित करती हैं, परंतु यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि इन योजनाओं का लाभ वास्तव में पात्र लाभार्थियों तक पहुंचें। इस दिशा में विधिक सेवा प्राधिकरण के स्वयंसेवक प्रभावित लोगों को उनके कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक कर रहे हैं।
वीर सैनिक सहायक योजना इसी वर्ष से
उन्होंने यह भी बताया कि देश की सीमाओं की रक्षा में तैनात वीर सैनिकों के परिवारों को कानूनी सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से वीर सैनिक सहायक योजना इसी वर्ष से आरंभ की गई है, जिसके लिए प्रत्येक जिला सैनिक कल्याण बोर्ड में व्यवस्था की गई है।
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