सेवानिवृत्त अधिकारी ने डुबोया क्रिप्टो करेंसी में लोगों का करोड़ों रुपया, घर-घर जाकर MLM में निवेश को उकसाया
Mandi News हिमाचल प्रदेश के मंडी में सेवानिवृत्त अधिकारी ने क्रिप्टो करेंसी में लोगों को करोड़ों रुपया लगवाकर डुबा दिया। खुद उसने कमीशन के पैसे से जीरकपुर व चंडीगढ़ में फ्लैट खरीदे हैं। किंगपिन सुभाष शर्माहेमराज व सुखदेव के साथ परस राम हर छह माह बाद विदेश दौरे पर जाता था। कई बार दुबईरूससऊदी अरब व थाइलैंड जा चुका है।

जागरण संवाददाता, मंडी। बल्ह हलके के लोहारा के रहने वाले एक सेवानिवृत्त अधिकारी परस राम ने मल्टी लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) नेटवर्क में सैकड़ों लोगों से निवेश करवा उनकी खून पसीने की कमाई का करोड़ों रुपये डूबा दिया। खुद उसने कमीशन के पैसे से जीरकपुर व चंडीगढ़ में फ्लैट खरीदे हैं। किंगपिन सुभाष शर्मा,हेमराज व सुखदेव के साथ परस राम हर छह माह बाद विदेश दौरे पर जाता था।
कई बार जा चुका विदेश
कई बार दुबई, रूस, सऊदी अरब व थाइलैंड जा चुका है। बल्ह,नाचन व सुंदरनगर में जान पहचाने वालों के घर-घर जाकर उन्हें एमएलएम नेटवर्क में निवेश करने को उकसाता था। पूर्व सरकार के समय अपनी ऊंची पहुंच का रौब दिखा अधिकारियों,कर्मचारियों व पार्टी कार्यकर्ताओं को एमएलएम नेटवर्क में निवेश करने को विवश करता था। कमीशन की लालसा में उसने कई नेताओं व उनके स्टाफ को भी नहीं बख्शा।
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कई लोगों से क्रिप्टो करेंसी में करवाया निवेश
स्टाफ के कई लोगों से क्रिप्टो करेंसी में निवेश करवाया है। सभी को चार से पांच माह में पैसा दोगुना करने का प्रलोभन दिया था। निवेश करने वालों की आइडी भी घर जाकर खुद अपने लैपटाप से जनरेट करता था। जिन लोगों ने एमएलएम नेटवर्क में निवेश किया था। उनसे पैसे इकट्ठे करने का काम भी करता था। बल्ह घाटी में एक तरह से पूरे गिरोह का किंगपिन परस राम था। लोगों से निवेश करवाने के लिए उसने अपनी एक टीम बना रखी थी।
एक लाख का निवेश करवाने की एवज में 15 से 20 प्रतिशत तक कमीशन मिलती थी। पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ होने के बाद अब लोगों के पैसे वापस करने से आनाकानी कर रहा है। एमएलएम नेटवर्क का यह खेल शातिरों ने 2019 में शुरु किया था। जिन निवेशकों का पैसा डूबा है। वह अब उसके मोबाइल फोन पर संपर्क कर रहे हैं,मगर फोन स्विच ऑफ है।
नकद होता था पूरा कारोबार
आयकर विभाग व अन्य एजेंसियों से बचने के लिए शातिर नकद कारोबार करते थे। सभी से पैसा नकद लेते थे। वापस भी नकद ही लौटाते थे। पैसे का आनलाइन कोई लेनदेन नहीं करते थे। इससे एसआइटी को साक्ष्य जुटाने में दिक्कत आ रही है। साइबर क्राइम सेल के पास कई शिकायतें आने के बाद अब परस राम एसआइटी के रडार पर आ गया है।
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