मंडी: मरीज को 10 किलोमीटर तक पालकी में ढोने को मजबूर लोग, बारिश का कहर से द्रंग में सड़कें बंद
मूसलाधार बारिश से द्रंग क्षेत्र की रैंस पंचायत में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। निशार शाला बाता और रैंस गांवों के संपर्क मार्ग पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं जिससे ग्रामीणों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बीमार युवक को पालकी में 10 किलोमीटर तक ले जाया गया। हणोगी-रैंस नाला-पनारसा मुख्य राजमार्ग बंद होने से हजारों लोग प्रभावित हैं।

आशीष भोज, पद्धर। द्रंग क्षेत्र की रैंस पंचायत के निशार, शाला, बाता और रैंस में इन दिनों हाल बेहाल हो गए हैं।
लगातार मूसलाधार बारिश ने यहां जनजीवन को संकट में डाल दिया है। संपर्क मार्गों का नामोनिशान तक मिट चुका है।
खासकर रैंस नाला के उफान ने हालात और भयावह बना दिए हैं। सड़कें तो दूर, पैदल रास्ते तक बह गए हैं, जिससे ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ रहा है।
पालकी के सहारे 10 किलोमीटर सफर
बीते दिन निशार गांव के युवक दूनी चंद की अचानक तबीयत बिगड़ गई। तेज बुखार से हालत नाजुक देख ग्रामीणों ने उसे अस्पताल ले जाने का निर्णय लिया।
लेकिन गांव तक वाहन नहीं पहुंच पा रहे थे। ऐसे में मनोज ठाकुर, राम ठाकुर, शेर सिंह ठाकुर और गोबिंद सिंह समेत ग्रामीणों ने उसे पालकी में कंधों पर उठाया।
करीब 10 किलोमीटर लंबा जोखिम भरा पैदल सफर तय कर किसी तरह मरीज को रैंस नाला के पास पठानकोट मंडी राष्ट्रीय उच्च मार्ग तक पहुंचाया गया।
वहां से वाहन के जरिए उसे लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कालेज नेरचौक में भर्ती करवाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि हणोगी–रैंस नाला–पनारसा मुख्य राजमार्ग से ज्वालापुर, ढल्यास, भटवाड़ी, जला कासना और बांधी पंचायतों के हजारों लोग जुड़े हुए हैं।
लेकिन भारी बरसात ने इस सड़क का नामोनिशान मिटा दिया है। अब सभी पंचायतों के लोग महीनों से आवागमन के संकट से जूझ रहे हैं।
सभी पंचायतों में हाल बेहाल हो गए हैं। आम जनजीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त है। रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो चुकी है। ग्रामीण बताते हैं कि बच्चों की पढ़ाई ठप पड़ गई है।
बीमार और बुजुर्ग सबसे ज्यादा परेशान हैं। वहीं, रोजमर्रा का सामान गांव तक पहुंचाना भी नामुमकिन हो गया है। हालात ऐसे हैं कि किसी भी समय कोई भी आपात स्थिति ग्रामीणों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
देव गणपति के पुजारी सूरज ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार और प्रशासन इस ओर तुरंत ध्यान दें। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की जान दांव पर लगी है।
किसी भी समय बड़ी अनहोनी हो सकती है। इसलिए वैकल्पिक व्यवस्था और सड़क बहाली में तेजी लाना बेहद जरूरी है।
ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि बंद पड़े मार्गों को प्राथमिकता के आधार पर बहाल किया जाए, ताकि जनजीवन पटरी पर लौट सके।
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