अब घुटने की हड्डी से मृतक की पहचान करना होगा आसान, आपदा और अपराध में मारे गए लोगों के आसानी से सुलझेंगे मामले
चंडीगढ़ स्थित स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजीआइएमइआर) के रेडियोडायग्नोसिस एवं इमेजिंग विभाग के डॉ. मोहिंदर शर्मा ने यह शोध किया ...और पढ़ें

हंसराज सैनी, मंडी। आपदा या अपराध का शिकार हुए लोगों की पहचान करने में अब फोरेंसिक विशेषज्ञों को सुगमता होगी। क्षत-विक्षत शव महिला या पुरुष का है, यह पता लगाने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी। अभी तक इस तरह की पहचान के लिए कपाल के अलावा शरीर की लंबी हड्डियों को सर्वोत्तम माना जाता था, लेकिन ऐसी हड्डियों की अनुपलब्धता की स्थिति में अज्ञात मानव कंकाल अवशेषों से मृतक की सही पहचान कर पाना बहुत मुश्किल था।
अब एक नए शोध ने आस जगाई है जिसके अनुसार घुटने की हड्डी (पटेला) यानी 'नी कैप' से पता लगाया जा सकेगा कि मृतक पुरुष था या महिला।
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यूके के फोरेंसिक इमेजिंग जर्नल में प्रकाशित हुआ शोध
चंडीगढ़ स्थित स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजीआइएमइआर) के रेडियोडायग्नोसिस एवं इमेजिंग विभाग के डॉ. मोहिंदर शर्मा ने यह शोध किया है। हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के निवासी डॉ. मोहिंदर ने सीटी स्कैन मशीन की मदद से यह अहम अध्ययन किया है। इसमें 18 से 80 साल के व्यक्ति में पटेला के मानक विचलन (मापदंड) अलग अलग पाए गए हैं। यह शोध यूके के फोरेंसिक इमेजिंग जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

सीटी स्कैन की मदद से किया गया पहला अध्यय
पटेला घुटने में छोटी चपटी हड्डी होती है। इसे नी कैप भी कहा जाता है। शोध के सूत्र से अब हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान सहित उत्तर पश्चिम भारतीय आबादी में किसी व्यक्ति की पहचान का पता लगाया जा सकता है। यह शोध किसी व्यक्ति का जैविक प्रोफाइल स्थापित करने में सहायक होगा जहां व्यक्ति की पहचान महत्वपूर्ण है। सीटी स्कैन मशीन की मदद से उक्त आबादी के लिए किया गया यह पहला अध्ययन है। इस अध्ययन ने भारतीय जनसंख्या के डाटा सेट में पटेला के मापदंडों का नया सेट जोड़ा गया है।
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चार नए मानकों का उपयोग
अध्ययन में चार नए मानक शामिल किए गए हैं। इन्हें दुनिया में पहली बार उपयोग किया गया है। इसमें पेटेलोफीमोरल दूरी (पीएफडी), पटेलर शीर्ष कोण (पीएएए), पटेला का ललाट सतह क्षेत्र (एफएसए) व पटेला की कुल परिधि (टीपीपी) शामिल हैं। इसका उपयोग फोरेंसिक पहचान केस में किया जा सकता है। अध्ययन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि एकल पटेला हड्डी से यह पता चल सकेगा कि मृतक पुरुष था या महिला।
344 नमूनों के आकार का अध्ययन
शोध में पटेला के 344 नमूनों के आकार का अध्ययन किया गया। इसमें 18 से 80 वर्ष के बीच के 179 पुरुष और 165 महिलाएं शामिल थीं। सीटी स्कैन का क्लिनिकल डाटा था। कोई अनावश्यक विकिरण खुराक नहीं दी गई। अध्ययन के लिए व्यक्ति व नमूनों को तीन भागों में विभाजित किया गया था। आयु के अनुसार समूह बनाए गए। समूह एक में 18-38 वर्ष के बीच (54 पुरुष और 81 महिलाएं, औसत आयु 30.8 वर्ष), समूह दो में आयु 39-58 वर्ष के बीच (63 पुरुष और 52 महिलाएं, औसत आयु 49.3 वर्ष) और समूह तीन में 58 वर्ष से अधिक आयु के नमूनों में से (62 पुरुष और 32 महिलाएं, औसत आयु 68.5 वर्ष) थी।
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आपदा, युद्ध और दुर्घटनाओं में खोपड़ी और पेल्विक हड्डियां पूरी तरह से नष्ट होने की आशंका रहती है। पहचान विश्लेषण में इनका योगदान कम हो जाता है। सही आकलन करने के लिए खोपड़ी और पेल्विक हड्डियों पर निर्भर नहीं रह सकते हैं। पटेला पर किया गया शोध फोरेंसिक विशेषज्ञों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।
-डॉ. मोहिंदर शर्मा, रेडियोडायग्नोसिस एवं इमेजिंग विभाग पीजीआइएमइआर चंडीगढ़

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