'मैं कांग्रेस अध्यक्ष बनने का इच्छुक नहीं...', उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने क्यों ठुकराया हाईकमान का प्रस्ताव?
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने स्पष्ट किया है कि वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के इच्छुक नहीं हैं। उन्होंने पार्टी हाईकमान के प्रस्ताव को पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते ठुकरा दिया है। उन्होंने जल जीवन मिशन में पूर्व सरकार पर दुरुपयोग का आरोप लगाया और शहरी क्षेत्रों में पानी के पुराने बिलों पर रोक लगाने की बात कही। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के बिलों की जिम्मेदारी पंचायतों को देने की योजना है।

जागरण संवाददाता, मंडी। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने साफ किया है कि वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के इच्छुक नहीं हैं। इस बारे में उन्होंने पार्टी हाईकमान को भी सूचित कर दिया है। शुक्रवार को मंडी में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी हाईकमान ने जरूर उनके समक्ष यह प्रस्ताव रखा था, लेकिन उन्होंने व्यक्तिगत परिस्थितियों और पारिवारिक जिम्मेदारियों को देखते हुए इसे ठुकरा दिया था।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पत्नी के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं। इस समय उनके लिए बेटी और परिवार सबसे बड़ी प्राथमिकता हैं। ऐसी स्थिति में वह संगठन का बड़ा दायित्व नहीं ले सकते। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह संगठन और सरकार में पहले से ही अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। आगे भी पूरी ईमानदारी से करते रहेंगे।
मुकेश अग्निहोत्री ने पूर्व भाजपा सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि जल जीवन मिशन के तहत मिले पैसों का दुरुपयोग किया गया और लगभग 120 करोड़ रुपये से विश्राम गृह बना दिए गए। केंद्र सरकार ने इसे गड़बड़ी मानते हुए मौजूदा समय में मिलने वाली राशि से कटौती कर दी है।
प्रदेश को जल जीवन मिशन के तहत केंद्र से 1200 करोड़ रुपये मिलने हैं, लेकिन यह राशि रोक दी गई है। केंद्र सरकार का तर्क है कि यह धनराशि पानी उपलब्ध करवाने के लिए दी गई थी, न कि विश्राम गृह बनाने के लिए। अग्निहोत्री ने कहा कि अब केंद्र इस पूरे मामले की जांच कर रहा है। देशभर में जल जीवन मिशन के तहत हुई गड़बड़ियों की जांच जारी है।
मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि शहरी क्षेत्रों के उपभोक्ताओं को राहत दी गई है, पानी के पुराने लंबित बिल फिलहाल नहीं लिए जाएंगे। इस बाबत विभाग को निर्देश दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले पर शहरी विकास विभाग से भी मंत्रणा चल रही है ताकि व्यवस्था को सरल और पारदर्शी बनाया जा सके।
उन्होंने बताया कि फिलहाल ग्रामीण क्षेत्रों में भी बिलों की वसूली रोक दी गई है। दरअसल, बिलों की कुल राशि से विभाग को सालाना मात्र 40 करोड़ रुपये की आय होती है, जो बहुत बड़ी राशि नहीं है। केंद्र सरकार चाहती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के बिलों की जिम्मेदारी पंचायतों को दी जाए। अब पंचायतें ही बिल जारी करेंगी और उसकी कलेक्शन करेंगी।
प्रदेश सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है और जल्द ही इसे लागू करने के उपाय खोजे जाएंगे। उन्होंने दोहराया कि प्रदेश सरकार जनता को राहत देने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है और जल जीवन मिशन के कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी।
जीएसटी दरों में बदलाव से सबसे अधिक नुकसान हिमाचल को हुआ है। सरकार कर्मचारियों की देनदारी देने के लिए वचनबद्ध है। एचआरटीसी प्रदेश की जनता को बेहतर परिवहन सुविधा उपलब्ध करवाने का प्रयास कर रही है।
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