मंडी: पंचायत चुनाव से पहले OBC की जनगणना रिपोर्ट पर उठाए सवाल, 10 दिन में कार्रवाई न हुई तो आंदोलन की चेतावनी
मंडी में पंचायत चुनाव से पहले ओबीसी महासभा ने ओबीसी जनगणना रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। महासभा ने रिपोर्ट में त्रुटियों का आरोप लगाया है और सरकार को 10 दिनों के भीतर कार्रवाई करने की चेतावनी दी है, अन्यथा आंदोलन की धमकी दी है। उनका कहना है कि रिपोर्ट में गलतियों से ओबीसी समुदाय को नुकसान हो सकता है।

मंडी उपायुक्त परिसर में पहुंचा बालीचौकी क्षेत्र का ओबीसी प्रतिनिधिमंडल। जागरण
संवाद सहयोगी, मंडी। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में पंचायत चुनाव से पहले जनगणना रिपोर्ट में धांधली के आरोप लगे हैं। विकास खंड बालीचौकी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की जनगणना रिपोर्ट को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।
ओबीसी प्रतिनिधिमंडल ने वर्ष 2011 की जनगणना रिपोर्ट में ओबीसी परिवारों की संख्या को जानबूझकर कम दर्शाने का आरोप लगाते हुए, राज्यपाल को उपायुक्त मंडी के माध्यम से मांग पत्र सौंपा है।
जनसंख्या की जांच करवाने का आदेश दें
प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई ओबीसी के पूर्व अध्यक्ष वीर सिंह भारद्वाज ने की। उन्होंने उपायुक्त के माध्यम से राज्यपाल से आग्रह किया है कि वे पूरे विकास खंड बाली चौकी में समस्त ओबीसी जनसंख्या की जांच कराने के लिए तुरंत आदेश दें।
सैकड़ों की संख्या में लोग, रिपोर्ट में दर्शाए शून्य
वीर सिंह भारद्वाज ने बताया कि बालीचौकी की कई पंचायतों में सैकड़ों की संख्या में ओबीसी आबादी है, जबकि 2011 की जनगणना रिपोर्ट में इसे नलवागी, मुराह, कोट ढलयास, गुराण, काउ, किगस जैसी पंचायतों में शून्य दर्शाया गया है।
इन गांवों में नाममात्र जनसंख्या बताई
इसके अलावा, बांधी, थाची, खुहन, थाचाधर, जुफर कोट, लघडयाना, खाहरी, माणी, थाटा, सोमगाड, भटवाडी, टकोली, टिक्कर, औट, नगवाईं, और स्वाखरी में भी नाम मात्र ही जनसंख्या बताई गई है।
पंचायत चुनाव में नहीं मिल रहा आरक्षण का लाभ
ओबीसी प्रतिनिधिमंडल का आरोप है कि गलत जनगणना रिपोर्ट के कारण इस वर्ग को रोजगार और पंचायती राज चुनाव में सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उनका कहना है कि यह 2011 की जनगणना में ओबीसी वर्ग के साथ भेदभाव है।
10 दिन में कड़ी कार्रवाई की उठाई मांग
उन्होंने गलत आंकड़े पेश करने वाले दोषी कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई की भी मांग की है। प्रतिनिधिमंडल ने 10 दिनों में कार्रवाई की मांग की है और समय पर कार्रवाई न होने पर आंदोलन और न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है।

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