मंडी में दिव्यांग युवती से दुष्कर्म के आरोपी को मिली जमानत, कोर्ट ने डीएनए रिपोर्ट को शुरुआती प्रमाण नहीं माना
मंडी में अदालत ने एक मानसिक रूप से दिव्यांग युवती से दुष्कर्म के मामले में आरोपी को जमानत दे दी। अदालत ने डीएनए रिपोर्ट को निर्णायक सबूत मानने से इनका ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, मंडी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सरकाघाट के न्यायालय ने थाना जोगेंद्रनगर के तहत दर्ज मानसिक रूप से दिव्यांग युवती से दुष्कर्म के मामले में आरोपित को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।
आरोपित के अधिवक्ता ने न्यायालय के समक्ष तर्क दिया कि डीएनए साक्ष्य पर्याप्त नहीं है क्योंकि यह एफटीए कार्ड आधारित रिपोर्ट है, जिसमें आठ अन्य व्यक्तियों के नमूने भी भेजे गए थे। उन्होंने कहा कि आरोपित निर्दोष है और पीड़िता को जानता तक नहीं।
अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि आरोपित का डीएनए भ्रूण से मेल खाता है, जिससे वह पीड़िता की गर्भावस्था का जैविक कारण प्रतीत होता है। न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि डीएनए रिपोर्ट को राय की प्रकृति का साक्ष्य माना जाता है और अभियोजन द्वारा इसे विधिवत साबित किए बिना न्यायालय द्वारा प्रथम दृष्टया उसे निर्णायक नहीं माना जा सकता।
न्यायालय ने यह भी माना कि अब मामले की जांच पूर्ण हो चुकी है और आरोपित की हिरासत की आवश्यकता नहीं है। न्यायालय ने आरोपित को 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी और उसे जांच में सहयोग करने और न्यायालय की अनुमति के बिना देश छोड़ने पर राेक लगा दी।

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