लोगों ने खुद उठाया धरोहर को संवारने का जिम्मा
ग्राम पंचायत घरवासड़ा के नेर गांव में प्राचीन धरोहर की अनदेखी
संवाद सहयोगी, जोगेंद्रनगर : ग्राम पंचायत घरवासड़ा के नेर गांव में प्राचीन धरोहर की अनदेखी से खफा ग्रामीणों व भक्तों ने खुद मंदिर परिसर को संवारने का जिम्मा उठाया है। पंजीकृत कमेटी की देखरेख में ग्रामीणों व भक्तों ने मंदिर परिसर के इर्द-गिर्द उगी झाड़ियों को उखाड़ने के अलावा भवन में उगी घास को हटाया।
लक्ष्मी नारायण मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार ने बताया कि विभाग की उदासीनता के कारण मंदिर के साथ मूतिर्यों को भी नुकसान पहुंचने लगा है। काफी अर्से से सुध न लेने से ऐतिहासिक धरोहर गिरने के कगार पर है। पहले मंदिर की छत से पानी का रिसाव होता था लेकिन अब मंदिर परिसर के चारों ओर से हो रहा है। इसलिए मजबूरन लोगों व भक्तों को प्राचीन धरोहर को सुरक्षित रखने के लिए आगे आना पड़ा है। लक्ष्मी नारायण मंदिर को प्राचीन धरोहर का दर्जा प्राप्त है लेकिन इसमें घास उगने लगी है। मंदिर के रखरखाव के लिए पंजीकृत कमेटी का गठन हो चुका है।
मंदिर के इतिहास का पुख्ता प्रमाण तो नहीं है लेकिन कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने नेर-मझारनू गांव में करीब 500 वर्ष तक तप किया था। इसके बाद यहां द्वापर युग में ऋषियों ने श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर की स्थापना की थी। यह स्थान भी बद्रीनाथ धाम की तरह है।
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मंदिर की समस्याओं से परिचित हूं। पंजीकृत कमेटी से भी बात कर उचित कार्रवाई की जा रही है। जिले में प्राचीन धरोहरों के रखरखाव पर विभाग काम कर रहा है। विभाग की टीम प्राचीन मंदिर का निरीक्षण करेगी।
-रेवती सैनी, जिला भाषा एवं संस्कृति अधिकारी मंडी